नई दिल्ली। दक्षिण अफ्रीका में पाए गए कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर दुनियाभर में खौफ का माहौल है। इस वेरिएंट तेजी से कई देशों में फैल रहा है। भारत में भी इसके अब तक 30 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। गनीमत यह है कि अभी तक इस वेरिएंट का कोई भी गंभीर मामला सामने नहीं आया है। ऐसे में लोग कह रहे हैं कि क्या ओमिक्रॉन कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से कम घातक है। वहीं कुछ विशेषज्ञ भी निजी बातचीत में इस बात को स्वीकार कर रहे हैं। विशेषज्ञों तो इस बात की आशंका भी जता रहे हैं कि यह महामारी के अंत की शुरूआत है। हालांकि अभी तक किसी भी विशेषज्ञ ने अभी तक आधिकारिक तौर पर ऐसी कोई बात नहीं कही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का भी कहना है कि अभी इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। कोरोना के इस नए वेरिएंट के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए अभी हमें इंतजार करना चाहिए। जिससे इसके गंभीरता और वैक्सीन के इस पर प्रभाव का पता लगाया जा सके।ओमिक्रॉन के मरीजों में नहीं हैं कोई गंभीर लक्षण
बता दें कि भारत में अब तक कोरोना के नए वेरिएंट के 33 मामले सामने आए हैं। इनमें से किसी भी मरीज को कोई गंभीर समस्या नहीं है। सभी का इलाज चल रहा है और उनकी हालत स्थिर बनी हुई है। बता दें कि इन मरीजों में कोरोना के गंभीर लक्षण भी नहीं मिले हैं। वहीं वे अच्छी तरह रिकवर भी कर रहे हैं।
डेल्टा की तुलना में कम घातक है ओमिक्रॉन
ओमिक्रॉन वेरिएंट डेल्टा की तुलना में कितना घातक है, इसके बारे में कुछ भी कहने के लिए आइसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले 3-4 हफ्ते का समय मांगा है। वहीं कोरोना प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि ओमिक्रोन के नए स्वरूप में सामने आया कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है, लेकिन अभी तक मिले डाटा से साफ हो गया है कि इस क्रम में यह पहले की तुलना में कम घातक है।
यह भी पढ़ेंं: उन्होंने बताया कि लोग ओमिक्रॉन से आसानी से संक्रमित तो हो जाएंगे, लेकिन उन्हें कोई गंभीर समस्या नहीं होगी। उनका मानना है कि महामारी का अंत इसी तरीके से होता है। वहींआइसीएमआर के प्रमुख डॉ. भार्गव भी काफी हद तक इस बात से सहमत दिखते हैं। हालांकि वो अभी इस संबंध में आधिकारिक रूप से कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।