बीकानेर / जयपुर। गहलोत, पायलट के लाख जतन के बाद भी राज्य मंत्री मंडल में 12 जिले ऐसे है जिन्हे मंत्री मंडल में जगह नहीं मिल पाई जबकि पांच जिले ऐसे हैं, जहां सबसे ज्यादा मंत्री हैं। जयपुर से 4, भरतपुर 4, दौसा 3, बीकानेर 3, झुंझुंनूं 2, बांसवाड़ा 2, अलवर 2, कोटा 2, भीलवाड़ा 1, बाड़मेर 1, करौली 1, जालौर 1, बूंदी 1, जैसलमेर 1, जोधपुर 1 विधायक मंत्री बने हैं।
मंत्रिमंडल के सभी 30 पद भर गए हैं। इसके बावजूद 12 जिलो का प्रतिनिधित्व न होने की वजह से कांग्रेस के सियासतदारो को इन जिलों से उपजने वाले विरोध का सामना करना पड़ सकता है। वहीं मुख़्यमंत्री खेमे से कहा जा रहा है कि इन जिलों से निगम बोर्डो में जगह दे कर विरोध के स्वर को ढीला करने की रणनीति बनाई जा चुकी है। वही संसदीय सचिव बनाये जाने की सूचि आनी है। राज्य की सत्ता में सबसे शसक्त प्रतिनिधित्व वाले उदयपुर, डूंगरपुर को कमजोर किया गया है। यहां का प्रतिनिधित्व विकास पुरुष स्व. मोहन लाल सुखाड़िया व हरदेव जोशी करते रहे है। ये दोनों नेता राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे है। इसके बावजूद इस क्षेत्र को कमजोर रखना राज्य विधान सभा के अध्यक्ष सी.पी जोशी, कांग्रेस की महिला नेता गिरजा व्यास के लिए शुभ नहीं है।
ऐसे 12 जिले जहां से कोई मंत्री नहीं बन सका। इनमें उदयपुर, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, सिरोही, धौलपुर, टोंक, सवाई माधोपुर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चुरू, अजमेर, सीकर जिले शामिल हैं। जबकि बर्खास्त मंत्रियो को भी जगह दी गई है।
बर्खास्त को फिर बनाया मंत्री
गहलोत-पायलट खेमे की सियासी जंग के दौरान बर्खास्त किए गए दोनों मंत्रियों को पुन: मंत्री बनाया गया है। केनिबेट मंत्री विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा को पहले बर्खास्त किया गया था। दोनों को फिर से केबिनेट मंत्री बनाया गया है।