अलविदा हो रहे मानसून ने बीकानेर में शनिवार को करीब तीस एमएम बारिश की तो सूखे से मैदान बन चुके तालाबों में कुछ पानी नजर आया। अभी भी पानी बहुत कम है लेकिन थोड़ी रौनक इन तालाबों पर नजर आ रही है। आने वाले दिनों में अगर एक बारिश हो जाये तो इन तालाबों में काफी पानी एकत्र हो सकता है। शहरी क्षेत्र में मानसून में पहली बार इतना पानी बरसा है, कि पानी तालाब तक पहुंचा।

हर्षोलाव में दिखा पानी

बीकानेर शहर में आधा दर्जन तालाब है, जिसमें पानी आने के साथ ही तैराक पहुंच जाते हैं। हर्षोलाव तालाब को पिछले दिनों नगर निगम के सहयोग से साफ किया गया लेकिन अधूरा काम होने के कारण बारिश में यहां पानी साफ नहीं रहा। जितना कचरा निकाला गया था, उतना ही कचरा एक बार फिर तालाब में पहुंच गया है। ऐसे में यहां आए पानी में तैराकी फिलहाल संभव नहीं है। तालाब के एक हिस्से में जहां पांच से सात फीट पानी है, वहीं दूसरी तरफ फीट भर पानी भी नहीं आया है। पानी नहीं होने से यहां ऋषि पंचमी पर भी पानी नजर नहीं आया।

धरणीधर में आया पानी

उधर, हाल ही में नए स्वरूप में आए धरणीधर में पानी पहुंचा है। हालांकि धार्मिक आयोजन व ऋषि पंचमी पर श्रावणी के लिए यहां टैंकर से पानी डाला गया। इसी दिन बारिश ने तालाब में पानी बढ़ा दिया। इसके बाद बारिश के पानी में भी श्रावणी कर्म किया गया। तालाब में बड़ी संख्या में युवा तैराकी करने भी आ रहे हैं।

सांसोलाव में नहीं है पानी

नत्थूसर गेट के बाहर सांसालोव तालाब में पानी आया है लेकिन नाम मात्र। यहां भी पानी एकत्र नहीं हो पा रहा है। रखरखाव के अभाव में ये तालाब भी खत्म हो रहा है। इस तालाब के जीर्णोद्धार की जरूरत महसूस की जा रही है। एक वक्त था जब इस तालाब में लोग जमकर तैराकी करते थे और यहां पिकनिक होती थी।

देवीकुंड सागर में पानी

जयपुर रोड पर स्थित देवीकुंड सागर में भी इस बार पानी आया है लेकिन बहुत कम। पानी की मात्रा कम होने के कारण यहां भी धार्मिक आयोजन मुश्किल से हो पा रहे हैं। इस तालाब के आसपास भी पहले खूब पिकनिक होती थी लेकिन अब यहां सन्नाटा है। इक्का दुक्का बरसातों से इतना पानी नहीं आता कि पिकनिक हो सके। सावन के महीने में यहां रौनक रहती है लेकिन पानी कम होने से अब मंदिर तक ही रौनक रहती है।

शिवबाड़ी तालाब भी सूखा

बीकानेर के शिवबाड़ी मंदिर के सामने भ्ज्ञी एक तालाब है। इस तालाब में भी अब पानी नहीं आ रहा है। यहां कुछ पानी आया है लेकिन सिर्फ तला ही गीला हो पाया है। एक वक्त इस तालाब के पानी का आसपास के ग्रामीण उपयोग करते थे लेकिन अब ये संभव नहीं है।

अतिक्रमण सबसे बड़ी समस्या

दरअसल, किसी भी तालाब में पानी आने का एक मार्ग होता है। इसी मार्ग को पिछले सालों में लोगों ने अतिक्रमण करके खत्म कर दिया। तालाबों में पानी आना बंद हो गया। हर्षोलाव, संसोलाव, धरणीधर सहित अनेक तालाबों में पानी की आवक बहुत कम रह गई है।