बीकानेर। जिले की गाढवाला, सरह नथानिया स्थित नंदी गौशाला रखरखाव के लिए निगम द्वारा भुगतान दिया जाता है लेकिन निगम महापौर की हठधार्मिता के चलते करीब 4 करोड़ रुपये का भुगतान अब तक नहीं हुआ है। सोहन लाल बुलादेवी गौशाला समिति के अध्यक्ष अनिल कुमार ओझा ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता कर महापौर पर आरोप लगाया कि महापौर व उनके पति की हठधर्मिता के चलते 4 करोड़ रुपये का भुगतान रोक लिया है। इस मामले को लेकर बीकानेर जिला कलक्टर से शिकायत की लेकिन कलक्टर ने भी यह कहकर पल्लाझाड़ लिया कि आप अपने स्तर पर सेटिंग करके मामला सुलझा लिजिए। जबकि पूर्व जिला कलक्टर कुमार पाल गौतम व वर्तमान कलक्टर नमित मेहता ने दो बार जांच करवा ली और अब तक करीब 7 बार जांच हो चुकी है लेकिन गौशाला में कोई भी अनियमिता नहीं मिली है। गौरतलब है कि नगर निगम बीकानेर की सरह नथाणिया गौशाला का संचालन समिति द्वारा किया जा रहा है इस मामले में महापौर व उनके पति विक्रम गौशाला की दैनिक गतिविधियों में अनुचित हस्तक्षेप करने एवं गौशाला कार्मिकों के साथ अभद्रता किये जाने व गौशाला के कमरों एवं किचन आदि के ताला तोडक़र चले गये। गौरतलब है कि नगर निगम में नया बोर्ड बनने के बाद नंदी गौशाला में पशुओं की मौत को लेकर बवाल मच गया था। निगम प्रशासन ने संचालक सोहनलाल बुला देवी देवी गौशाला समिति के भुगतान पर रोक लगा दी थी। उसके बाद निराश्रित गौवंश को गौशाला में लेने का काम भी बंद हो गया। गौशाला संचालक अशोक शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर का मेयर और निगम आयुक्त पर एमओयू की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। भुगतान दिलाने की मांग हाईकोर्ट से की। गौशाला का करीब पांच करोड़ का भुगतान बकाया पड़ा है। जानकारी में रहे कि आयुक्त द्वारा 20 मई 2020 को निगम अधिकारियों को गौशाला में कार्यरत श्रमिकों के भोजन आदि की व्यवस्थाओं एवं गौशाला की गतिविधियों के संबंध में जानकारी लेेने हेतु भेजा गया। नगर निगम बीकानेर में उपायुक्त जगमोहन हर्ष को गौशाला बुलाया गया एवं गौशाला में किचन रुम का ताला तोडऩे हेतु हर्ष को कहा गया। तब हर्ष ने कहा कि ताला तोडऩे की आवश्यकता नहीं है। इस पर महापौर के पति विक्रम सिंह राजपुरोहित ने जगमोहन हर्ष को गाली-गलौच की व अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए धमकी देकर मारपीट की। इस प्रकरण में राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 3 के अन्तर्गत महापौर सुशील कंवर राजपुरोहित का प्रकरण न्यायिक जांच हेतु विधि विभाग को भिजवा दिया गया। जांच में महापौर नगर निगम अधिनियम के तहत प्रावधान का उल्लघंन किया जाना माना जा रहा है अत आयुक्त नगर निगम बीकानेर की जांच रिपोर्ट के आधार पर महापौर सुशील कंवर राजपुरोहित के खिलाफ जांच की जानी चाहिए।