जयपुर। प्रदेश में गोशाला और डेयरी संचालन से पहले अब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की मंजूरी जरूरी होगी। एनजीटी के  आदेश पर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने जुलाई में रिवाइज्ड गाइडलाइन जारी की थी। डेयरी और गोशाला में पशुओं की  संख्या 10 अधिक होने पर शहर और गांव के आबादी एरिया से 100 मीटर दूर होनी चाहिए। गांव में तालाब, नदी, झील  और अस्पताल से 200 मीटर दूरी पर ही डेयरी खोल सकेंगे।एनजीटी के आदेश पर साल 2020 में डेयरी और गौशाला स ंचालन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे, अब फिर से संशोधित गाइडलाइन जारी की है। इसे राज्य में लागू किया जा  रहा है। गाइडलाइन फॉलो के बाद ही डेयरी फॉर्म और गौशाला संचालन की पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड क्लीयरेंस देगा। स्टेट  पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने इसे दो कैटेगरी में बांटा है। प्रतिदिन 100 किलोलीटर से कम वेस्ट प्रवाहित करने वाली डेयरी  फॉर्म और गौशाला ग्रीन कैटेगरी और इससे अधिक वेस्ट प्रवाहित वाली ऑरेंज कैटेगरी में होगी। ग्रीन कैटेगरी के लिए  15 साल, वहीं ऑरेंज कैटेगरी के लिए 10 साल की परमिशन मिलेगी।
दूषित पानी को नाली में नही बहा सकेंगे, ठोस कचरा प्रबंधन के नियम भी लागू होंगे
गाइडलाइन के अनुसार डेयरी फार्म और गौशालाओं का दूषित पानी को नाली में बहाने पर रोक रहेगी। डेयरी फॉर्म और  गोशालाओं में ट्रीटमेंट प्लांंट लगाना जरूरी होगा। गोबर को खुले में रखने की बजाय बायोगैस प्लांट, वर्मी कंपोस्ट के  जरिए खाद बनाना होगा। डेयरी फार्म, गोशालाओं को निगम, निकाय, पंचायत में रजिस्ट्रेशन भी करवाना होगा। इन पर  ठोस कचरा प्रबंधन अधिनियम 2016 लागू रहेगा। डेयरी फार्म और गोशालाओं में पशुओं के नहाने और पीने के लिए  प्रति पशु 150 लीटर पानी के आवंटन की नियम  और अब पानी की इस मात्रा घटाया है। भैंस के लिए 100 और गाय  के लिए 50 लीटर पानी सप्लाई होगा।
छ महीने में दो ऑडिट अनिवार्य
नई गाइडलाइन के अनुसार अब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड छ महीने में डेयरी फार्म और गोशालाओं की ऑडिट करना  अनिवार्य किया है। इसके साथ ही प्रत्येक डेयरी और गोशाला को लोकल लेवल पर पंजीकृत करने के लिए बोर्ड जागरू कता अभियान चलाना होगा ।
रोज 100 लीटर से कम वेस्ट प्रवाहित करने वाली डेयरी फॉर्म और गोशाला ग्रीन कैटेगरी और इससे अधिक वेस्ट वाली  ऑरेंज कैटेगरी में होगी। ग्रीन कैटेगरी में 15 साल, ऑरेंज में 10 साल की मंजूरी मिलेगी।
दूषित पानी को नाली में बहाने पर रोक रहेगी।