जून की गर्मी के बीच 93 किलाेमीटर की दाैड़ पूरी की है अलवर के खेड़ली मंगाेलाकी गांव के 21 साल के युवक जितेन्द्र प्रजापत ने। जिसके गवाह वे खुद नहीं बल्कि उसके गांव के 100 से 150 लाेग हैं, जाे बाइक व कार से उसके साथ चलते रहे। जितेन्द्र का सपना अक्टूबर में दिल्ली में हाेने वाली मैराथन में मैडल जीतना है।
खेड़ली से बालाजी माेड तक दाैड़
जितेन्द्र ने खेड़ली से बालाजी मोड़ तक दौड़ की। फिर वापस खेड़ली आए। यह करीब 93 किलोमीटर की दूरी है।जिसमें सिर्फ साढ़े नौ घंटे लगाए। शाम छह बजे दौड़ शुरू की। रात करीब 11 बजे बालाजी मोड़ पहुंचे। फिर वहां बालाजी महाराज को धोक दी और वापस दौड़ना शुरू कर दिया। रात को ही वापस खेड़ली पहुंच गया। जितेन्द्र के साथ-साथ वाहनों पर गांव के लोग थे। ग्रामीणों ने बताया कि जितेन्द्र ने दौड़ते हुए ही पानी पिया। केवल दो बार टॉयलेट की।

सेना भर्ती की दौड़ की तैयारी से शुरुआत
जितेंद्र ने बताया कि उसने सेना में भर्ती होने के लिए करीब 4 साल पहले नियमित रूप से दौड़ना शुरू किया। शुरू में वह 5 से 7 किलोमीटर ही दौड़ता था। धीरे-धीरे वह रोजाना 30 से 40 किलोमीटर दौड़ने लगा। अब उसका सपना अक्टूबर में होने वाली मुम्बई टाटा फुल मैराथन में शामिल होकर पदक जीतने का है। सेना भर्ती के लिए तो प्रयास जारी ही है।

दिल्ली की मैराथन 42 किमी
दिल्ली में होने वाली मैराथन दौड़ करीब 42 किलोमीटर की है। जिसमें अब तक का भारतीय रनर का बेस्ट टाइम 2 घंटे 16 मिनट 46 सैकंड का है। जबकि जितेंद्र इस 42 किमी की दौड़ को 2 घंटे 40 मिनट में पूरी करते हैं।

जितेन्द्र को ट्रेनर की जरूरत
परिजन कहते हैं कि जितेंद्र को अच्छा ट्रेनर मिले तो वह एक अच्छा धावक बन सकता है। जितेंद्र के पिता प्रेम सिंह किसान हैं, लेकिन आधा बीघा जमीन होने के कारण घर खर्च के लिए उन्हें मजदूरी करनी पड़ती है। जितेन्द्र तीन भाइयों में सबसे बड़ा है।
ग्रामीणों ने ईनाम दिया
दौड़ पूरी करने के बाद ग्रामीणों ने जितेन्द्र का स्वागत किया। 20 हजार 100 रुपए का इनाम दिया। इस दौरान पालिका अध्यक्ष संजय, जितेन्द्र के पिता व भाई सहित मंगोलाकी सरपंच रामचरण बौहरा, मोहन सिंह प्रजापत, सोनी खींची, उदल मीणा सहित स्थानीय पार्षद बनवारीलाल, महावीर प्रसाद, ओमप्रकाश लालपुरिया, दीपेंद्र नरूका, वीरेंद्र नरूका, अमतेश जैन, प्रकाश जैन भी मौजूद थे।