सनसिटी जोधपुर में नई तकनीक ने सौर ऊर्जा को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। चंद बरसों पहले सबसे महंगी ऊर्जा का सोर्स मानी जाने वाली सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली अब बेहद कम दाम पर मिल रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगले आठ दस साल में स्थिति पूरी तरह से बदल जाएगी और इसके दाम पच्चीस से तीस फीसदी तक नीचे आ सकते है।

राजस्थान में चंद बरस पहले सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन करने को पांच-पांच मेगावाट के कुछ प्लांट लगाए गए थे। उस समय राज्य सरकार इनसे 17.91 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद रही थी। तकनीक में आए बदलाव से लागत कम हुई और उत्पादन बढ़ा तो बिजली के दाम नीचे आते चले गए। हाल ही राजस्थान व केन्द्र सरकार ने एनटीपीसी के साथ 1.99 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद का करार किया है। दाम में आई कमी ने राज्य सरकार को उत्साहित कर दिया है। अब वह अधिक से अधिक निवेशकों को आकर्षित करने पर जोर दे रही है। वित्तीय सलाहकार और एसेट्स मैनेजमेंट का काम देखने वाली फर्म लेजार्ड का मानना है कि सौर ऊर्जा आधारित बिजली के दाम बहुत तेजी से नीचे आएंगे। इनमें 11 फीसदी की दर से सालाना गिरावट देखने को मिल सकती है। हालांकि औसत दर 2.24 से 2.48 रुपए प्रति यूनिट चल रही है।

इस कारण कम हुए दाम
सौर ऊर्जा से उत्पादित बिजली की दर इसके निर्माण की लागत पर निर्भर करती है। गत कुछ वर्षों से सौर ऊर्जा से बिजली का निर्माण करने वाली प्लेट्स की डिजाइन व दाम में काफी कमी आई है। साथ ही ब्याज दरों में आई कमी का भी लागत पर असर पड़ा है। ब्याज दर कम होने से नए खिलाड़ियों के मैदान में उतरने की राह आसान हो गई है। अब प्रति मेगावाट लागत घटकर चार करोड़ रुपए रह गई है।

देश में सौर ऊर्जा का हब है राजस्थान
राजस्थान में वर्तमान में करीब 5,500 मेगावाट सौर ऊर्जा आधारित बिजली का उत्पादन हो रहा है। वहीं करीब तीन से चार हजार मेगावाट के प्रोजेक्ट पाइप लाइन में है। थार के रेगिस्तान में पड़ने वाली भीषण गर्मी अब वरदान के रूप में सामने आ रही है। अब आसमान से आग उगलता सूरज बड़ी मात्रा में बिजली पैदा कर रहा है। अन्य राज्यों की अपेक्षा थार के रेगिस्तान में लगे प्लांट औसतन 25 फीसदी अधिक बिजली का उत्पादन कर रहे है।

सस्ती हो गई सोलर प्लेट्स
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बरसों से काम करने वाले वुड मैकेंजी ने इसे लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए सिलिकॉन आधारित इन प्लेट्स में बिजली निर्माण के लिए पॉलीसिलिकॉन काम में लिया जाता है। चीन में इसका उत्पादन बहुत तेजी से बढ़ा। यहीं कारण है कि इसके दाम 400 डॉलर प्रति किलोग्राम से कम होकर महज 100 डॉलर प्रति किलोग्राम रह गए। भारत जैसे देशों में बिजली उत्पादन का यह अब सबसे सस्ता जरिया बन चुका है।

भविष्य का मुख्य सोर्स होगा सौर ऊर्जा
वुड मैकेंजी के अनुसार सौर ऊर्जा की कुल बिजली उत्पादन में हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। यह वर्तमान में दस फीसदी है। अगले कुछ बरस में वर्ष में यह बढ़कर तीस फीसदी हो जाएगी। साथ ही बिजली की दरों में 15 से 25 फीसदी की गिरावट भी देखने को मिलेगी।

तकनीक में बदलाव से होगा अधिक उत्पादन
विशेषज्ञों का कहना है कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में वैज्ञानिक लगातार काम कर रहे है और इसकी लागत कम करने पर फोकस किए हुए है। कई नई तकनीक आ चुकी है। हाल में सामने आई बाइफेसियर माड्यूल फिलहाल सबसे अधिक कारगर साबित हो सकता है। फिक्स की जाने वाले सोलर प्लेट्स की अपेक्षा यह 15 फीसदी अधिक बिजली का उत्पादन कर सकता है। इसमें सोलर प्लेट्स सूरज के दिशा बदलने के साथ घूमती रहती है। ऐसे में इन प्लेट्स पर सूरज की अधिकतम किरणें पड़ती है। वहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से रखरखाव की लागत भी कम होना शुरू हो जाएगी।