बीकानेर। फेसबुक पेज पर आमी-सांमी नाम से आयोजित कार्यक्रम की 52 वीं कड़ी में रविवार को प्रतिष्ठित व मीठी ओजस्वी वाणी की धणी अर्थशास्त्र व्याख्याता और वर्तमान में महारानी सुदर्शन महाविद्यालय बीकानेर अर्थशास्त्र की विभागाध्यक्ष पद पर कार्यरत डॉ मंजुला बारेठ ने शिरकत की जिनसे राजस्थान की ख्यातिप्राप्त कवियत्री नगेन्द्रबाला बारेठ ने संवाद किया जिसमें मायड़ भाषा को मान्यता मिले इसके लिए वे कई बार शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भी दे चुकी है और स्कूल,कॉलेज में राजस्थानी भाषा पढ़ाई जाए ये विचार भी रखा है। उन्होंने बताया की मायड़ भाषा के लिए सभी को एक जुट होकर काम करना होगा।उन्होंने कहा की सदा से ही सभी बड़े साहित्यकार राजस्थानी भाषा,साहित्य के प्रेमी रहे है,और इसके प्रति आदर भाव रखा है। रविंद्र नाथ टैगोर जो की स्वयं इतने बड़े कवि व साहित्यकार थे उन्होंने भी हिंगलाज दान जी कविया को बहुत बड़ा अंतरराष्ट्रीय कवि माना था।और मंजुलाजी ने उनकी एक दार्शनिक रचना भी सुनाई ॐ कार अपार कुन पावे।
कार्यक्रम का अंत भी उन्होंने मैथलीशरण गुप्त की कविता की कुछ पंक्तियों के साथ करा। शिक्षा तुम्हारा नाश हो मारो ना लल्ला को मेरे, नौकरी करनी नही।अर्थात भावी पीढ़ी को अवसाद से बचना चाहिए व स्वयं का बौद्धिक विकास पर ध्यान देना चाहिए।
कार्यक्रम के अंत में राजस्थानी साहित्यकार श्री लाल मेहता जी, बीकानेर को श्रद्धांजलि भी अर्पित की इस पेज पर साहित्य व मायड़ भाषा को मान्यता मिले इसके लिए संबंधित आनलाइन चर्चा हुई महत्वपूर्ण बातें मंजुला ने बताई और समझायी भी।
उन्होंने बताया की शुरू से ही उन्हें अपने दादोसा व नानोसा दोनों ही परिवार से साहित्यिक परिवेश मिला और बचपन इन्ही कविता, छन्द,भजन से ओत प्रोत रहा।उन्होंने अपनी दादीसा समान बाईसा की जीवनी भी साझा करी।समान बाईसा की प्रतिदिन की दिनचर्या व अध्यात्म की ओर रुझान से अवगत करवाया। उन्होंने बताया की उनकी दादीसा का जीवन कोई साधारण जीवन नहीं था, कृष्ण की सगुण भाव की भक्ति युक्त जीवन था। उन्होंने समान बाईसा की जीवनी व उनके भजन से आगे का कार्यक्रम आरंभ किया। आवत म्हारी गलियन में गिरधारी,राधे छुपत शरम के मारी।
कई किताबें भी उन्होंने लिखी है। उनकी दादीसा के भजनों का संग्रह ‘मत्स्य की मीरा’ के नाम से प्रकाशित हुआ है। इस पेज से पिछली मई से अब तक राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं लोक संस्कृति के एक सौ तैतीस कार्यक्रम प्रसारित हो चुके हैं।