बीकानेर। कोरोना रोगियों की रफ्तार में तेजी के साथ ही बीकानेर में होली की मस्ती शुरू हो गई है। गुरुवार को थम्भ पूजन के साथ शुरू हुए होली का असल आगाज शनिवार को खेलनी सप्तमी के साथ होगा। प्रशासन ने होली के किसी भी कार्यक्रम पर रोक नहीं लगाई है।
ब्रज की तरह बीकानेर की होली भी राजस्थान में खास महत्व रखती है। करीब 10 दिन चलने वाली होली की शुरूआत खेलनी सप्तमी से होती है, जब सेवग समाज विशेष पूजन के बाद गेर निकालते हैं। इसी दिन रियासतकालीन नागणेचीजी मंदिर में फागोत्सव का आयोजन होता है जाे होली तक निरंतर चलेगा।
रम्मत हैं होली की शान
बीकानेर में होली पर रम्मतों का आयोजन होता है। रम्मत मूल रूप से एक नाटक है, जिसका मंचन सिर्फ पुरुष कलाकार करते हैं। इसमें महिला पात्रों को भी पुरुष ही निभाते हैं। मोहल्लों में होने वाली रम्मतों में श्रद्धा का ऐसा सैलाब उमड़ता है कि पैर रखने को जगह नहीं होती। सबसे पहले नत्थूसर गेट पर फक्कड़दाता की रम्मत होगी। इसके बाद बिस्सा चौक में नोटंकी शहजादी की रम्मत होगी। कीकाणी व्यासों के चौक में जमना दास कल्ला रम्मत, बारह गुवाड़ में स्वांगमेरी की रम्मत, मरुनायक चौक में हडाऊ मेरी रम्मत, आचार्य चौक में अमरसिंह रम्मत का आयेाजन अगले एक सप्ताह में होगा।
एक दूसरे पर होगा पानी से हमला
होली के इन्हीं आयोजनों में 26 मार्च को हर्ष और व्यास जाति के बीच पानी का खेल होगा। इस दौरान दोनों जाति के लोग एक दूसरे पर डोलची में पानी भरकर हमला करते हैं। दोनों एकदूसरे की पीठ पर पानी की तेज बौछारें मारते हैं। करीब एक घंटे तक दोनों जातियों के लोग जमकर एक दूसरे पर हमला करते हैं। प्रेम से भरे इन हमलों के बाद दोनों एक दूसरे पर फब्तियां भी कसते हैं, लेकिन प्रेम भरी। ओझा व छंगाणी जाति के लोग भी पानी का खेल खेलते हैं।
थम्भ पूजन, मतलब देवता का पूजन
बीकानेर में थम्भ पूजन के साथ ही होली शुरू हो जाती है। स्थानीय निवासी गटिया महाराज बताते हैं कि थम्भ पूजन के माध्यम से क्षेत्र देवता, ग्राम देवता सहित क्षेत्रीय क्षेत्रपाल की पूजा की जाती है। बीकानेर में जहां भी रम्मत होती है, उसी के आसपास के क्षेत्र में थम्भ पूजन होता है। इसका आशय होता है कि आसपास के सभी देवी देवताओं की पूजा कर ली गई है।