बीकानेर। हाल ही बजट सत्र के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से वितमंत्री ने यह घोषणा की कि सरकारी बैंको का निजीकरण किया जाऐगा। देश के अधिकारी व कर्मचारियों के 9 संगठनों की संघर्ष समिति ‘यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियनस’ ने निजीकरण के खिलाफ 15 व 16 मार्च को देशव्यापी हड़ताल का निर्णय लिया है। जिसमें 10 लाख बैंककर्मी भाग लेंगे। इसी क्रम में राजस्थान में सभी शहरों में ‘धरना’ आयोजित किये जा रहे है। आज बीकानेर में कलेक्टर कार्यालय के सामने यू.एफ.बी.यू. के आवाह्न पर धरना आयोजित किया गया।
दोपहर लंच समय में एस.बी.आई. की पब्लिक पार्क शाखा के समक्ष बैंक अधिकारियो/कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन किया तथा निजीकरण, केन्द्र सरकार व वित्तमंत्री के खिलाफ नारेबाजी की गई।
बैंककर्मियों को सम्बोधित करते हुए यू.एफ.बी.यू. के संयोजक वाई.के. शर्मा ‘योगी’ ने कहा कि लाभ दे रही बैंकों को कोरपोरेट्स के हाथो बेचना पूंजीपतियों को सीधा लाभ पहुंचाना है। जिन चार सरकारी बै ंको के नाम निजीकरण हेतु प्रस्तावित है, उनके स्टाफ की संख्या 1 लाख 20 हजार है, जिनकी सेवा शर्ते प्रभावित होंगी। शर्मा ने सरकार के व्यवसाय निजी बैंकों को सौंपने का विरोध किया। इससे घोटाले बढ़ेंगे और बैंक की विश्वसनीयता कम होगी।
एन.सी.बी.ई. के उपमहासचिव मुकेश शर्मा ने 15 व 16 मार्च की हड़ताल को सफल बनाने का आवहान किया व निजीकरण को जन विरोधी बतलाया।
आई.बोक. यूनियन के जोनल सेकेटरी एम.एम.एल. पुरोहित ने कहा कि अधिकारी वर्ग यू.एफ.बी.यू के सभी कार्यक्रमों में बढ़ चढकर हिस्सा लेगा। सरकार के तानाशाही पूर्ण एकतरफा फैसलों का देश का बैंक कर्मी विरोध करेगा, क्योंकि बैंको में जमा आम आदमी की धन राशि औद्योगिक घरानों के हवाले करना अन्याय पूर्ण है।
प्रदर्शन को ऑल राज. एस.बी.आई. एम्पलोईज एसोसियेशन के अध्यक्ष सीताराम कच्छावा व बैंक ऑफ बड़ोदा स्टॉफ यूनियन के उपमहासचिव रामदेव राठौड़ ने भी सम्बोधित किया। धरना स्थल पर आइबोक के सी.के. व्यास व मृत्युंजय और एन.सी.बी.ई. के मनोज सैनी व गोपाल कृष्ण आत्रेय व पवन सिंघल ने सम्बोधित किया।
धरने मे एस.बी.आई. के एमएमएल पुरोहित, मुकेश शर्मा, मनोज सैनी, मृत्युंजय प्रकाश, रूपेश शर्मा, गोपाल कृष्ण आत्रेय, पवन सिंघल, बैंक ऑफ इण्डिया के मेघा खुराना, रामस्वरूप कंडारा, रामस्वरूप चौहान, यूको बैंक के सुभाषचन्द्र दैया, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया के राहुल लुथरा, रामलाल मेघवाल, अनिल मखीजा, पंजाब नेशनल बैंक से चन्द्रकांत व्यास, रामप्रताप गोदारा, दुलाराम वर्मा, बैंक ऑफ बड़ोदा से रामदेव राठोड़, अक्षय व्यास, हेमन्त तंवर, के.के. डागा, बैंक ऑफ महाराष्ट्रा से छोटूलाल चांवरिया, दिलीप कुमार पांडे, यूनियन बैंक से जयशंकर खत्री, अशोक सोलंकी, इण्डियन बैंक से रामधन सुथार सहित क रीब 40 लोग सरकारी बैंको के निजीकरण के खिलाफ बैठे।