जयपुर। राजस्थान में नागौर जिले के सिलारिया गांव में ग्रामीणों ने शनिवार को एक नई पहल हुई है। यहां ग्रामीणों ने पंचायत बुलाकर अपने स्तर पर शराबबंदी करने का निर्णय लिया है। ग्रामीणों ने गांव में शराब पीने और बेचने पर आम सहमति से रोक लगा दी है। अब गांव में यदि कोई शराब पीता हुआ मिला तो उस पर 1100 रुपये और शराब बेचने पर 11 हजार रुपये जुर्माना देना होगा। यह जुर्माना राशि गांव में होने वाले विकास के काम पर खर्च होगी। ग्राम पंचायत ढातीणा के सरपंच निरमा ने बताया कि फैसला सभी ग्रामीणों ने आम सहमति से लिया गया है। इसकी पालना कराने की जिम्मेदारी सब की होगी। निरमा ने बताया कि ग्रामीण लंबे समय से शराबबंदी को लेकर विचार कर रहे थे।
इसी सिलसिले में शनिवार को बैठक बुलाई गई और फिर सहमति पत्र पर सभी ग्रामीणों ने हस्ताक्षर किए। इस पत्र में लिखा गया है कि गांव में न तो अब कोई शराब पीएगा और न ही बेचेगा। उन्होंने बताया कि गांव में शराब की एक दुकान थी। इसे शनिवार को बंद करा दिया गया। शराब की दुकान पर दिनभर भीड़ रहती थी, आपस में लड़ाई-झगड़े होते थे। इससे गांव का माहौल खराब हो रहा था। लोगों के शराब पीने से बच्चों पर गलत असर हो रहा था। महिलाओं को काफी परेशानी होती थी। इस कारण ग्रामीणों ने दुकानदार को समझाया तो उसने बंद करने पर सहमति जताई। इसके बाद शराबबंदी का निर्णय लिया गया। सरपंच ने कहा कि हमारे गांव में शराब बंदी से दूसरे गांव के लोगों को प्रेरणा मिलेगी। हमारी कोशिश रहेगी कि आसपास के गांवों को शराब मुक्त किया जाए। गौरतलब है कि जनवरी, 2020 में प्रदेश में शराबबंदी को लेकर बनाई गई उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष और प्रदेश के ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने “दैनिक जागरण” को बताया था कि राज्य में शराब बंदी लागू करने का इरादा नहीं है। डॉ. कल्ला ने कहा कि गुजरात और बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है, लेकिन गुजरात में शराबबंदी के अनुभव ठीक नहीं है। वहां पर शराब आसानी से उपलब्ध है। इसी तरह बिहार में भी अवैध शराब का कारोबार काफी बढ़ गया।