https://new-img.patrika.com/upload/2020/12/21/img20201221160545_6586904_835x547-m.jpg

देवेंद्र वाणी न्यूज़

जोधपुर डिस्कॉम में एक साथ आठ जिलों के 300 से ज्यादा 33/11 केवी सब स्टेशन को ठेकों पर देने की तैयारी कर रहा है। इतनी बड़ी संख्या में विद्युत सब स्टेशन को ठेके पर देना चर्चा का विषय बन गया है और कर्मचारी संगठनों ने प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया है। खास बात यह है कि डिस्कॉम इस पूरी प्रक्रिया पर करीब 22 करोड़ से अधिक की राशि खर्च करेगा।
सरकार की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में नए जीएसएस खोल कर बिजली व्यवस्था को सुचारु करने के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन हकीकत में इन जीएसएस पर काम करने के लिए कर्मचारियों की भारी कमी है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने 57 नए जीएसएस जनता को सुपुर्द किए हैं। लेकिन वहां भी शिफ्ट में लगाने के लिए कर्मचारियों की कमी है। इसी कारण डिस्कॉम को एक साथ 300 से ज्यादा जीएसएस को ठेके पर देने की प्रक्रिया अपनाई गई है। टी.डब्ल्यू विंग के इस कदम का सभी कर्मचारी संगठन विरोध कर रहे हैं। इसी विरोध को देखते हुए एमडी ने फिलहाल टैंडर खुलने की तारीख को आगे बढ़ा दिया है।

कहां कितने सब स्टेशन देने की तैयारी

जिले का नाम ———– सब स्टेशन संख्या — अनुमानित प्रोजेक्ट लागत
जोधपुर जिला (ग्रामीण) – 68 ————- 5.02 करोड़

पाली ————— 31 ————– 2.29 करोड़
सिरोही ————– 13 ————- 96 लाख

जालोर ————– 25 ————- 1.84 करोड़
जैसलमेर ———– 20 ———— 1.47 करोड़

बीकानेर ———— 71 ———– 5.23 करोड़
श्रीगंगागनर ——— 48 ————— 3.54 करोड़

चुरू ————- 31 ————— 2.29 करोड़
कुल ———— 307 ————— 22.67 करोड़

फैक्ट फाइल

– 10 जिले हैं जोधपुर डिस्कॉम के अधीन

– 2250 विद्युत सब स्टेशन 33/11 केवी के

– 307 इनमें से ठेके पर देने की तैयारी

– 18 हजार से अधिक तकनीकी कर्मचारियों के पद स्वीकृत
– 14 हजार के करीब ही कर्मचारी कार्यरत वर्तमान में

– 4 हजार कर्मचारी स्वीकृत स्थिति में भी, नए जीएसएस में नई स्वीकृति ही नहीं

टी.डब्ल्यू विंग के टैंडर को एमडी ने फिलहाल रोका

डिस्कॉम बिजली कर्मचारी संघ(इंटक)जोधपुर के पदाधिकारी इसी मुद्दे को लेकर डिस्कॉम एम.डी से मिले। महामंत्री मोहनसिंह भाटी, संरक्षक प्रकाश सतपाल, संयुक्त महामंत्री हुकुमचंद चौहान, कौंसिल के सदस्य मोहमद शमीम, शहर वृत्त अध्यक्ष जितेंद्र सिंह सहित अन्य पदाधिकारियों ने इन जीएसएस को निजी हाथों में सौंपने का विरोध किया। इसमे जान का जोखिम और ठेकेदारों के काम पर डिस्काम की मॉनिटरिंग नहीं होने का आरोप लगाया। एमडी ने इस टैंडर प्रक्रिया की तारीख फिलहाल बढ़ाई और संगठनों से दुबारा बातचीत का आश्वासन दिया। वहीं बीएमएस से जुड़े संगठन भी इसमें विरोध की रूपरेखा बना चुके हैं।