बीकानेर। एक ओर जहां बीकानेर में न्यूनतम पारा पांच डिग्री सेल्सियस जा पहुंचा और घना कोहरा लोगों को घरों से बाहर निकलने से रोक रहा है। वहीं दूसरी ओर नौकरी की आस में सर्द रातों व दिन में चुभनभरी सर्द हवाओं के बीच बेरोजगार शारीरिक शिक्षक सड़क पर सोने को मजबूर है। ऐसा न तो मौज मस्ती में हो रहा है और ना ही कोई एडवेंचर है। दरअसल शिक्षा निदेशालय के सामने राज्यभर से आये बेरोजगार शिक्षक अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर धरना पर बैठे है। अब बुधवार को बीकानेर आ रहे शिक्षामंत्री गोविन्द डोटासरा को इन शिक्षकों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
दरअसल, वर्ष 2018 में शिक्षा विभाग ने शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था। उसी नियुक्ति प्रक्रिया में पद खाली होते हुए भी बेरोजगारों की भर्ती नहीं की जा रही है। विभाग ने 4655 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था। जिसमें से 4552 पदों पर नियुक्ति दी गई। शेष पदों को अदालती निर्णय के इंतजार में भरा नहीं गया है। बेरोजगारों का कहना है कि जो पद शेष रह गए हैं, उनकी प्रतीक्षा सूची जारी की जाये ताकि अन्य बेरोजगारों को नौकरी मिल सके। बेरोजगार भी अदालत के निर्णय तक आरक्षित रखे गए पदों के अतिरिक्त शेष रह रहे पदों पर प्रतिक्षा सूची की मांग कर रहा है। पिछले दिनों इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी से प्रतिनिधि मंडल मिला था लेकिन इसके बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। पिछले कई दिनों से बेरोजगारों ने निदेशालय के ठीक सामने तंबू लगाकर धरना दे दिया। दिनरात चलने वाला यह धरना सोमवार की रात भी जारी रहा, जब तापमान गिरकर पांच डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। बेरोजगार शारीरिक किशोर कुमार शर्मा का कहना है जब तक प्रतिक्षा सूची जारी नहीं होगी, तब तक धरने से नहीं उठेंगे, भले ही कितनी ही सर्दी हो।
शिक्षामंत्री का दौरा, निदेशालय परेशान
शिक्षामंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा बुधवार को बीकानेर आ रहे हैं। वे यहां शिक्षा विभागीय कर्मचारियों को राज्य स्तरीय सम्मान देंगे। निदेशालय के आला अधिकारियों को डर है कि निदेशक के सामने कहीं कोई उग्र प्रदर्शन नहीं हो। धरना दे रहे बेरोजगारों से बातचीत करके एक-दो दिन में प्रतिक्षा सूची जारी करने का आश्वासन देकर धरना उठाने के लिए भी कहा गया लेकिन बेरोजगार नहीं माने।
हर नियुक्ति में ऐसे ही हालात
पिछले कई सालों से शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति में कोई न कोई परेशानी आती है और अंत में बेरोजगारों को निदेशालय के आगे आकर धरना प्रदर्शन करना पड़ता है। नियुक्ति विज्ञापन के दो साल बाद भी प्रक्रिया पूरी नहीं कर रहे पा रहे शिक्षा विभाग को इसी कारण अब मंत्री के आगे किरकिरी होने का डर सता रहा है।