बीकानेर। बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल पर एक व्यक्ति द्वारा नाजायज रूप से कब्जा कर लिया गया है। व्यापारियों की यह संस्था अब जेबी संस्था लगने लगी है। अध्यक्ष व्यापार मंडल से संबंधित सभी प्रकार के काम अपने घर पर ही करते है। यहीं नहीं अध्यक्ष का अधिकतर समय बीकानेर से बाहर व्यतीत होता है। ऐसे में शहर में होने वाली व्यापारिक गतिविधियां ठप्प सी हो गई है। कुछ ऐसे ही आरोप शनिवार को बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल के अध्यक्ष रघुराज सिंह राठौड़ पर उनके ही पदाधिकारियों द्वारा लगाएं गये। व्यापार उद्योग मंडल के सचिव पंडित जयदेव शर्मा,उपाध्यक्ष विष्णुपुरी,कोषाध्यक्ष रवि पुरोहित,सह सचिव घनश्याम लखानी और राजीव शर्मा ने एक बैठक कर अपने अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हुए दुबारा चुनाव करवाने तक का निर्णय लिया है। बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल की अपर संस्था संरक्षक परिषद के अध्यक्ष अनंत वीर जैन और सचिव चंपल मल सुराणा को अपना अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत कर दिया है। संरक्षक परिषद ने आगे की कार्यवाही के लिए एक तदर्थ समिति का गठन कर दिया है।
पिछले लंबे समय से चल रही आपसी खींचतान
आपको बता दे कि बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल में आठ वर्षों से यह खींचतान चल रही है। मजे की बात ये है कि उच्च न्यायालय में व्यापार मंडल को लेकर अलग अलग करीब 50 मामले विचाराधीन है। दबी जुबां में व्यापारी मंडल की ऐसी हालत के लिये मक्खन लाल अग्रवाल को जिम्मेदार ठहरा रहे है। कई व्यापारियों ने अपना नाम न छापने की शर्ते पर बताया कि मक्खन लाल अग्रवाल के कारण ही बीकानेर में बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल के दो फाड हुए है और व्यापारियों का एक मजबूत संगठन तार तार हुआ है। गौरतलब रहे कि इस समय भी इस नाम से दो संगठनात्मक अध्यक्ष काम कर रहे है। लेकिन एक गुट का गुस्सा आज उस समय फ ूट गया। जब पदाधिकारियों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे रघुराज सिंह राठौड़ के खिलाफ उनके ही पदाधिकारी अविश्वास ले आएं।
चुनावी प्रक्रिया पर भी उठाएं सवाल
मजे की बात तो ये है कि जिन सदस्यों और मतदाताओं के भरोसे रघुराज सिंह अध्यक्ष निर्वाचित हुए और जो उनकी टीम के हिस्सा बने। आज वे ही उनकी चुनावी प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगा रहे है। इन पदाधिकारियों ने अविश्वास प्रस्ताव में उल्लेख किया है कि अध्यक्ष को बार-बार कहने के बावजूद भी वे इस बारे में कभी गौर नहीं करते हैं। वह व्यक्ति संस्था का पदाधिकारी भी नहीं है। उसने एक तरीके से संस्था पर कब्जा ही किया हुआ है। वैसे भी अध्यक्ष का कार्यकाल 19 जून को खत्म हो रहा है। लेकिन हमें यह निर्णय इसलिए लेना पड़ा क्योंकि गत चुनाव में भी बहुत बड़ी हेराफेरी करके चुनाव करवाए गए थे। कहीं इस बार भी इस तरीके की गड़बड़ ना हो इसीलिए हम सभी ने अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित किया है।