नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस को देखते हुए अनेकों निर्णय लिए हैं. लॉकडाउन से सरकार को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है. इसी कड़ी में अब सरकार ने अपने कर्मचारियों और पेंशनधारियों के लिए महंगाई भत्ता बढ़ाने पर रोक लगा दी है. एक जनवरी से 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ा DA नहीं मिलेगा. इस फैसले का असर 54 लाख सरकारी कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों पर पड़ेगा. बता दें कि पिछले महीने सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 4 फीसदी बढ़ोतरी की घोषणा की थी. डीए को 17 फीसदी से बढ़ाकर 21 फीसदी किया गया था.

आइए, जानते हैं कि महंगाई भत्ता क्या है और कब से दिया जाता है-

-ये पैसा इसलिए दिया जाता है, ताकि महंगाई बढ़ने के बाद भी कर्मचारी के रहन-सहन के स्तर में पैसे की वजह से दिक्कत न हो. -इसकी शुरुआत दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हुई थी. सिपाहियों को खाने और दूसरी सुविधाओं के लिए उनकी तनख्वाह से अतिरिक्त पैसा दिया जाता था. इस पैसे को उस वक्त खाद्य महंगाई भत्ता या डियर फूड अलाउंस कहा जाता था.

भारत में मुंबई के कपड़ा उद्योग में 1972 में सबसे पहले महंगाई भत्ते की शुरुआत हुई थी. इसके बाद केंद्र सरकार सभी सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देने लगी थी, ताकि बढ़ती हुई महंगाई का असर सरकारी कर्मचारी पर न पड़े. इसके लिए 1972 में ही कानून बनाया गया, जिससे कि ऑल इंडिया सर्विस एक्ट 1951 के तहत आने वाले सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाने लगे.