बीकानेर। एक ओर तो वैश्विक महामारी से जंग लडऩे के लिये हर नागरिक अपने स्तर पर कुछ न कुछ प्रयास कर रहा है। वहीं दूसरी ओर जरूरतमंदों सहित मध्यम वर्ग को भी सरकारी उपक्रम ही लूट रहे है। जिसका विरोध शुरू हो गया है। युवा विक्रम सिंह राजपुरोहित ने सरस डेयरी की मनमानी और कालाबाजारी का विरोध करते हुए इसे मानवता के खिलाफ बताया। राजपुरोहित ने कहा कि शहर में दूध के भाव 15 दिनों में कम होते जा रहे है। दूध की आपूर्ति के अनुरूप खपत नहीं होने के चलते दूध के भावों में गिरावट आई है। वहीं दूसरी ओर सरस डेयरी ने सभी हदों को पार करते हुए अपने भावों में कोई कमी नहीं करते हुए आमजन को 42 रूपये किलो ही बेच रहा है और मजबूर होकर लोगों को इस भाव में दूध खरीदना पड़ रहा है। राजपुरोहित ने कहा कि डेयरी की हठधर्मिता के चलते मध्यम वर्ग व गरीब लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है । वंही दूसरी तरफ उसी के प्रतिद्वंद्व में दूध आपूर्ति कर रही लोटस डेयरी 30 रुपये प्रति लीटर दूध आमजन को पहुंचा रहा है।ऐसे में सरस डेयरी उपक्रम लूट खसोट का एक जरिया बन गया है।राजपुरोहित ने आरोप लगाया कि डेयरी के प्रभारी पूर्ण रूप से सप्लाई पहुंचाने में भी भेदभाव बरत रहे है।
प्रशासन के संज्ञान में फिर भी ऐसी क्या मजबूरी
राजपुरोहित ने कहा कि इस संदर्भ में अनेक बार बीकानेर के सजग नागरिकों ने जिला प्रशासन को अवगत भी करवाया कि आप द्वारा अधिकृत सरस डेयरी द्वारा कफ्र्यू ग्रस्त इलाकों में की जा रही दूध की सप्लाई में मनमाने भाव लिये जा रहे है। उसके बाद भी सरकारी उपक्रम द्वारा लूट खसोट पर अंकुश नहीं लगाने के पीछे जिला प्रशासन की क्या मजबूरी है। ये तो प्रशासन ही जानता है।