बीकानेर। 25 साल कीहज उस महिला की सांसें उखड़ती जा रही थी, उसे तुरंत इलाज की जरूरत थी। बीकानेर के पीबीएम अस्पताल लाया गया ताकि उसे बचाया जा सके। ना सिर्फ से बल्कि उसके गर्भ में पल रहे नौ महीने के बच्चे को भी। भर्ती कराने के तीन दिन तक वो पीबीएम अस्पताल में एक आईसीयू बेड के लिए तरसती रह गई लेकिन नहीं मिला। अंतत: उसने गर्भ में पल रहे बच्चे के साथ ही दम तोड़ दिया। आईसीयू बेड की कमी ने मां और उसके बच्चे दोनों की जान ले ली।

चूरू की सुमनदेवी को जब यहां भर्ती कराया गया था, तब भी उसका ऑक्सीजन सेचुरेशन महज 70 के आसपास था। बी वार्ड में भर्ती करने के साथ ही उसका कोरोना टेस्ट कराया गया। यह टेस्ट नेगेटिव आया। संभव है कि कोरोना होकर निकल गया था और पीछे निमाेनिया छोड़ गया। इसी निमाेनिया का इलाज जरूरी हो गया क्योंकि उसके गर्भ में एक बच्चा भी पल रहा था, जिसे जल्द ही इस दुनिया में आना था। नौ महीने की गर्भवती सुमन देवी को इलाज के नाम पर बी वार्ड में एक बेड मिला, जिससे ऑक्सीजन की नली नाक में लगा दी गई। दरअसल, डॉक्टर्स को पता था कि वो बहुत गंभीर हालत में लेकिन अस्पताल के किसी भी आईसीयू में उन्हें वेंटीलेटर का एक बेड नहीं मिल पाया। डॉ. संजय कोचर ने परिजनों को यहां तक बोल दिया कि किसी भी विभाग में आईसीयू खाली हो तो हम इसे वहां ले जायेंगे। उधर, सुमन का ऑक्सीजन लेवल गिरते -गिरते पचास के पास पहुंच गया। किसी विभाग में एक आईसीयू खाली हुआ, परिजन दौड़ते हुए सुमन को शिफ्ट कराने पहुंचे लेकिन तब तक वो दम तोड़ चुकी थी। गर्भवती बच्चा भी उसके साथ ही दुनिया देखे बगैर दुनिया छोड़ गया।

नहीं हो सकता था प्रसव

सुमन की हालत इतनी नाजुक हो चुकी थी कि उसका प्रसव नहीं कराया जा सका। दरअसल, उसका ऑक्सीजन लेवल बहुत था। इस स्तर पर सर्जरी करके बच्चे को निकाल पाना भी संभव नहीं था। डॉक्टर्स ने किसी तरह की रिस्क नहीं ली, लेकिन इसके बाद भी सुमन को मौत से बचाया ना जा सका।

इतने भी आईसीयू नहीं

कोरोना के कारण बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में इतने आईसीयू बेड्स व वेंटीलेटर उपलब्ध नहीं है कि जरूरतमंद रोगी को मिल जाये। तीन दिन में एक भी आईसीयू खाली नहीं हुआ। ऐसे में सुमन को मौत की ओर जाते हुए देखने के अलावा डॉक्टर्स भी कुछ नहीं कर सके। उसे जब बीकानेर लाया गया था, तब तक निमाेनिया काफी हद तक फैफड़ों को खराब कर चुका था।

अब किसे दोष दें

गर्भवती महिला सुमन के मामा महिपाल शर्मा यहां मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में काम करते हैं। उनका कहना है कि सुमन को जब भर्ती किया गया, तब वो काफी ठीक थी। उसे कोरोना नहीं था, इसलिए बी वार्ड में भर्ती किया गया। इसी दौरान धीरे धीरे हालात बिगड़ते गए लेकिन एक वेंटीलेटर तक उपलब्ध नहीं हो सका। हम दो दिन तक कोशिश करते रहे। जब मिला तब तक वो दम तोड़ चुकी थी।

और इधर खाली पड़ा है सुपर स्पेशलिटी सेंटर

वहीं दूसरी तरफ सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज का सुपर स्पेशलिटी सेंटर खाली पड़ा है। यहां वेंटीलेटर सहित सभी तरह की व्यवस्था है। इसके बाद भी सुपर स्पेशलिटी सेंटर में कोरोना रोगी भर्ती नहीं किए जा रहे हैं। यहां तीस बेड का आईसीयू भी है और 180 बेड्स का एयरकूल्ड वार्ड भी, जहां हर बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा है। डॉक्टर्स व नर्सिंग स्टॉफ के अभाव में मेडिकल कॉलेज सिर्फ एमसीएच तक ही कोविड अस्पताल को जारी रख पाया।