राजस्थान में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में सोमवार को जिला प्रमुख और प्रधान को चुना जाना है। शाम को परिणाम आने हैं, लेकिन नामांकन के साथ ही कांग्रेस के लिए बड़ा संकट खड़ा हो गया है। इस बार छह जिलों में चुनाव हो रहे हैं। इस बार चुनाव इस लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हो गया था कि छह जिलों में जयपुर और जोधपुर शामिल हैं।

जोधपुर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आते हैं तो जयपुर भाजपा का गढ़ रहा है। दोनों दल प्रतिष्ठा की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस बीच, कांग्रेस ने जयपुर और जोधपुर दोनों जगह जिला परिषद में बहुमत हासिल कर लिया है, लेकिन अब आंतरिक गुटबाजी सामने आ गई है। प्रमुख के टिकट बंटवारे के बाद अब कुछ भी हो सकता है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का इलाका जोधपुर है। यहां पर पार्टी में बगावत का झंडा उनके खास समर्थक और पूर्व सांसद बद्री जाखड़ की बेटी मुन्नी देवी ने उठा लिया है। उन्होंने पूर्व मंत्री और राजस्थान में चर्चित नेता परसराम मदेरणा की बहू लीला के जिला प्रमुख प्रत्याशी बनाने के विरोध में निर्दलीय फॉर्म भर दिया है। यहां पर मुन्नी के अलावा तीन प्रत्याशियों ने भी कांग्रेस से निर्दलीय फॉर्म भर दिए हैं। ऐसे में क्रॉस वोटिंग से इनकार नहीं किया जा सकता।

जोधपुर जिला परिषद की सीट गहलोत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। उधर, जाखड़ की बेटी के समर्थन में जिला परिषद के कुछ सदस्य बताए जाते हैं। ऐसे में शाम को वोटिंग के बाद यह तय हो पाएगा कि जोधपुर में ऊंट किस करवट बैठेगा। जिला परिषद जोधपुर में कुल 37 सीटों पर चुनाव हुए थे। इसमें कांग्रेस ने 21 और भाजपा ने 16 सीट जीती थी। जिला प्रमुख चुनाव के लिए कांग्रेस से लीला मदेरणा और भाजपा से चंपादेवी डाउकिया प्रत्याशी हैं। मैदान में यहां पर 5 प्रत्याशी हैं।

जयपुर में भाजपा का गेम
इधर, राजधानी जयपुर में बीजेपी ने कांग्रेस खेमे में सेंध लगा दी है। बीजेपी ने कांग्रेस की जिला परिषद सदस्य रमा देवी चोपड़ा को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस का एक सदस्य भी रमा देवी के साथ चला गया है। कांग्रेस ने सरोज देवी बागड़ा को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस के पास बहुमत नहीं रह गया है। जयपुर जिला परिषद में कुल 51 प्रत्याशी हैं। इसमें कांग्रेस के पास 27 और बीजेपी के 24 सदस्य हैं। जिला प्रमुख के लिए कांग्रेस से सरोज देवी बागड़ा और कांग्रेस से जीती रमा देवी को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है।

जोधपुर जिला परिषद में कांग्रेस का पलड़ा भारी लेकिन क्रॉस वोटिंग का डर
कांग्रेस के तीन-तीन बागी उम्मीदवारों का पर्चा वापस नहीं लेना इस बात की ओर इशारा करता है कि लीला मदेरणा को सिंबल देने के खिलाफ क्रॉस वोटिंग तय है, इसकाका फायदा भाजपा को मिल सकता है।
रिपीट हो सकता है 2004 का चुनाव
आपको बता दें 2004 के चुनाव में भी लीला मदेरणा को पार्टी ने सिंबल नहीं देकर मुन्नी गोदारा को उम्मीदवार बनाया था। इससे बिफरे मदेरणा परिवार और उनके 3 समर्थकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी थी। जिसके चलते भाजपा उम्मीदवार अमिता चौधरी ने जीत हासिल की थी।