राजस्थान कोरोना में जब बच्चे घर में सहमे हुए बैठे थे, किताब से दूर थे तो एक टीचर ने ऑनलाइन एज्यूकेशन का प्रकाश फैलाया। एक-दो नहीं बल्कि अनेक नए प्रयोग करते हुए सरकारी स्कूल के बच्चों को ऑनलाइन एजुकेशन से जोड़ा। एक टीचर ने स्कूल के पीछे कचरा डालने का डंपिंग यार्ड बन चुके मैदान को सच में अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम बना दिया। इतना ही नहीं इस स्टेडियम से खिलाड़ियों को इंटरनेशनल गेम्स तक पहुंचा दिया। एक टीचर ने गणित को इतना इनोवेटिव बना दिया कि कठिन लगने वाला ये सब्जेक्ट उनके स्टूडेंट्स के लिए अब एंटरटेनिंग हो गया है। इन तीनों टीचर्स को आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद नेशनल अवार्ड से सम्मानित करेंगे।
बीकानेर के राजकीय सीनियर सेकंडरी स्कूल में जनरल साइंस के सीनियर टीचर दीपक जोशी ने साइंस के छोटे छोटे फार्मूलों से बच्चों को जोड़कर इस विषय के प्रति अवेयरनेस बढ़ाने का जोरदार काम किया है। यही कारण है कि गांव में रहने वाले सरकारी स्कूल के बच्चों ने शहरों की महंगी स्कूल में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को साइंस एग्जिबिशन में कई बार हराया। शुद्ध पानी के लिए आरओ का खर्चा करने के बजाय मिट्टी के बर्तनों से पानी को साफ करने की विधि हो या फिर खेत में फिजूल मानी गई खींप से रेफ्रीजरेटर बनाने का कारनामा हो। महज पांच सौ रुपए में ‘दीपक सर’ के स्टूडेंट्स ने इको फ्रेंडली चुल्हा बना दिया। इस चूल्हें में सोलर से चलने वाला पंखा है तो इससे बनने वाली ईंधन से कार्बनडाइई ऑक्साइड बहुत कम बनती है। ऐसे अनेक कारनामे करने के बाद जब कोरोना काल आया तो दीपक ने यूट्यूब चैनल के माध्यम से अपने स्टूडेंट्स को पढ़ाने का अनूठा काम किया। उनके चैनल पर 120 कंटेंट उपलब्ध है। आज इन्हीं उपलब्धियों पर उन्हें राष्ट्रपति अवॉर्ड के लिए चयनित किया गया है। दीपक बताते हैं कि वो हर स्टूडेंट को विज्ञान से जोड़ना चाहते हैं।
स्टूडेंट्स को पूछा जाये तो उनके लिए गणित सबसे से कठिन विषय होता है। बिरला बालिका विद्यापीठ झुंझुनूं की टीचर अचला वर्मा के स्टूडेंट्स के लिए यह सबसे सरल और मजा देने वाला विषय है। दरअसल, अचला वर्मा ने गणित के सूत्र समझाने के लिए कई नए तरीके इजाद किए हैं। उन्होंने अपने टीचर्स को बोर्ड पर ही फार्मूले नहीं समझाए बल्कि फील्ड में काम करवाया। मैजरमेंट के लिए स्टूडेंट्स को मैदान में उतारा। यहां तक कि पाइथोगोरस के नियम सिखाने के भी नए तरीके निकाले। यही कारण है कि गणित को समझने के नए तरीके धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। अचला वर्मा का कहना है कि गणित बहुत सरल विषय है, लेकिन इसके लिए बच्चों से प्रेक्टिकल करवाना होगा। उन्होंने अपने कमजोर स्टूडेंट्स को भी इतना तैयार कर दिया कि आज वो इंजीनियर है।