बीकानेर की फसलों को हुवा भारी नुकसान:बीकानेर के बांधों में पानी कम होने से गहरा सकता है सिंचाई जल संकट

बीकानेर के किसानों पर इस बार दोहरी मार हुई है। एक तरफ जहां मानसून ने निराश किया, वहीं दूसरी ओर इंदिरा गांधी नहर में पानी भी नहीं मिल रहा है। हालात ये है कि सिंचित और असिंचित दोनों एरिया में फसलों को भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में अनूपगढ़ शाखा में पानी नहीं देने से हालात और बिगड़ गए हैं। इंदिरा गांधी नहर की अनूपगढ़ शाखा में पानी नहीं छोड़ने से उन किसानों की फसल भी चौपट होने के कगार पर है, जिन्होंने शुरूआत में मिले पानी से लंबे चौड़े एरिया में फसल तैयार कर ली।

पश्चिमी राजस्थान में ही इस बार बारिश का आंकड़ा कमजोर रहा है। पश्चिमी राजस्थान के दस जिलों में अब तक 237 एमएम बारिश हो जानी चाहिए थी लेकिन अब तक 197 एमएम बारिश हुई है। ऐसे में सत्रह प्रतिशत कम बारिश से फसलों को सीधा नुकसान हुआ है। वहीं बीकानेर में अब तक 205 एमएम बारिश होनी चाहिए थी लेकिन 178 एमएम बारिश हुई है। बीकानेर के जिन एरिया में किसान सबसे ज्यादा नुकसान में रहा है, उनमें खाजूवाला, पूगल, छत्तरगढ़, लूणकरनसर, श्रीकोलायत व नोखा है। श्रीडूंगरगढ़ में किसान की फसल तैयार है, हालांकि यहां भी बिजली कटौती के चलते ट्यूबवेल से सिंचाई करने वाले किसान परेशान रहे। श्रीकोलायत व नोखा में भी ट्यूबवेल से बहुत सिंचाई होती है। यहां भी नुकसान हुआ।

नहरी क्षेत्र में आंदोलन की चेतावनी

अनूपगढ़ शाखा को बंद हुए 20 दिन हो गए हैं। ऐसे में साढ़े आठ दिन के तीन ग्रुप निकल चुके हैं। लोगों को पीने का पानी ही उपलब्ध नहीं हो रहा। उन्हें मजबूरन टेंकरों से पानी की आपूर्ति करनी पड़ रही है। इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी अब कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो रही है। पूर्व संसदीय सचिव डॉ. विश्वनाथ मेघवाल ने इस बारे में हनुमानगढ़ के मुख्य अभियंता विनोद मित्तल से बातचीत की। मित्तल ने भी स्वीकार किया कि हरीके से इंदिरा गांधी नहर में 6500 क्यूसेक पानी छोड़े जाने का शेयर तय हुआ है लेकिन वर्तमान में मिल 2500 क्यूसेक रहा है।

भाजपा ने सवाल उठाया है कि जब 6500 क्यूसेक शेयर निर्धारित है तो 2500 क्यूसेक पानी ही क्यों मिल रहा है? इसके बाद नौरंगदेसर-रावतसर वितरिका को पानी कैसे मिलेगा? मेघवाल ने कहा है कि नहर विभाग सरकार स्तर पर बात कर पंजाब से पूरा पानी ले। डॉ. विश्वनाथ ने कहा है कि पौंग डैम में पानी का स्तर 1350 फीट के करीब पहुंच गया है तो इंदिरा गांधी नहर का रेगुलेशन बनाया जाना चाहिए।

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