राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर निवासी एक 12 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता के करीब 20 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने चिकित्सकों की रिपोर्ट समेत तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कहा कि इस मामले में बच्चे के जन्म से ना केवल किशोरी को जीवनभर पीड़ा झेलनी पड़ेगी, बल्कि सामाजिक परेशानी का भी सामना करना पड़ेगा।

किशोरी व उसके अभिभावकों को आघात नहीं पहुंचे, इसलिए गर्भपात की अनुमति जरूरी है। लेकिन, दुष्कर्म के मामले में कार्रवाई हो सके, इसलिए मेडिकल कॉलेज भ्रूण को सुरक्षित रखे। साथ ही आवश्यक होने पर डीएनए परीक्षण की भी कोर्ट ने अनुमति दी है। हाईकोर्ट ने सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज को इसके लिए बोर्ड बनाने का निर्देश दिया है। जस्टिस अशोक कुमार गौड़ ने पीड़िता की याचिका को निस्तारित करते हुए यह आदेश दिया है।

यह है मामला

कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि भ्रूण करीब 19 सप्ताह का हो चुका है। कोर्ट ने 25 नवंबर को सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से बोर्ड बनाकर किशोरी का परीक्षण करने के निर्देश दिए थे। इसके आधार पर मंगलवार को परीक्षण किया गया।

चिकित्सकों की ओर से कोर्ट में पेश रिपोर्ट में बताया गया कि गर्भपात में जोखिम तो है। हालांकि कोर्ट ने सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए गर्भपात की इजाजत दे दी है।