दिल्ली। आरएसएस ने राम मंदिर निर्माण में देरी पर सुप्रीम कोर्ट से इस मसले का जल्द समाधान का आग्रह किया है। संघ ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार को इस पर अध्यादेश लाना चाहिए। शीर्ष अदालत की प्राथमिकताएं अलग होने के बयान पर संघ ने कहा कि इससे हिंदू समाज अपमानित महसूस कर रहा है।
अयोध्या विवाद की सुनवाई अगले साल तक टालने के निर्णय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा कि इस मामले पर उन्हें जल्द निर्णय की उम्मीद थी लेकिन शीर्ष अदालत ने इसे टालकर हमारे इंतजार को और लंबा कर दिया है। संघ ने राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश की मांग फिर दोहराई। संघ ने कहा कि अगर जरूरी हुआ तो वह राम मंदिर के लिए 1992 जैसा आंदोलन भी करेगा। संघ ने कहा कि सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत द्वारा यह कहे जाने पर कि हमारी प्राथमिकताएं अलग हैं, इसे हिंदू समाज अपमानित महसूस कर रहा है।
संघ के सर कार्यवाह भैयाजी जोशी ने शुक्रवार को यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, राम मंदिर के निर्माण की प्रतीक्षा लंबी होती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई को सात साल हो गए हैं। जब तीन जजों की पीठ बनी थी तो हमें उम्मीद थी जल्द इसपर कोई निर्णय आएगा लेकिन उस पीठ का कार्यकाल समाप्त हो गया। जोशी ने कहा, राम सबके हृदय में रहते हैं। भगवान मंदिर में रहते हैं। हम हर कीमत पर राम मंदिर का निर्माण चाहते हैं।
हम लगभग 30 सालों से मंदिर के लिए आंदोलन कर रहे हैं। कुछ कानूनी बाधाएं अवश्य हैं। हमें उम्मीद है कि कोर्ट हिंदू समाज की भावनाओं को समझकर न्याय देगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई टालने के सवाल पर जोशी ने कहा यह कोर्ट का अधिकार है। उनके इस अधिकार हम टिप्पणी नहीं करेंगे। लेकिन उनकी प्राथमिकताएं अलग होने वाले बयान पर हम सबको दुख है। करोड़ों हिंदू समाज की भावनाओं की श्रद्धा से जुड़े इस मुद्दे पर जिस तरह से जवाब दिया इससे हिंदू समाज अपमानित महसूस कर रहा है। करोड़ों हिंदुओं की आस्था अदालत की प्रथामिकता में नहीं है, यह आश्चर्यजनक है। उन्होंने कहा, हमने कभी भी अदालत की उपेक्षा नहीं की है। पर अदालत भी समाज की भावनाओं का सम्मान करे। हम संविधान का सम्मान करने वालों में से हैं। कोर्ट इस मामले को प्राथमिकता से ले।