अर्जुन राम ने छिपाए तथ्य ? आज बीकानेर में कांग्रेस के विधि प्रकोष्ठ ने प्रेस वार्ता की। इसमें बताया की बीकानेर लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी अर्जुनराम मेघवाल ने अपने नामांकन-पत्र में अनेक तथ्यों को छिपाया है। चूरू कलेक्टर रहते हुए मेघवाल के खिलाफ सैनिक कॉलोनी में भूखंड आवंटन को लेकर एक जांच शुरू हुई थी, जिस पर बाद में स्टे आ गया था। यह स्टे हाल ही में 19 जनवरी 2019 में खारिज हुआ है। इस प्रकरण की जानकारी मेघवाल ने अपने नामांकन में नहीं दी है।
तीन और ऐसे मामले हैं, जिसकी जानकारी भी नहीं दी गई है। कांग्रेस के विधि प्रकोष्ठ के एडवोकेट जगदीश शर्मा ने पत्रकारों के बीच साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि मेघवाल का नामांकन रद्द होना चाहिए। विधि प्रकोष्ठ के शहर अध्यक्ष किसनलाल सांखला ने कहा कि ये सारे तथ्य जिला निर्वाचन अधिकारी को दे दिए गए हैं। अगर फिर भी मेघवाल का नामांकन रद्द नहीं हुआ तो हम उच्च न्यायालय में जाएंगे। देहात विधि प्रकोष्ठ के अध्यक्ष ओमप्रकाश जाखड़, मनोज भादाणी, कुलदीप शर्मा, कमल पुरोहित, शंभूसिंह राठौड़, लेखराम धत्तरवाल आदि वकील भी शामिल हुए, जिनका कहना था कि नामांकन पत्र में जानकारियां छिपाना भारतीय दंड संहिता 181, 199 और 200 के तहत जुर्म है और सात साल की सजा का प्रावधान है। इस बीच एक भंवरलाल की फरियाद का जिक्र करते हुए भी विधि प्रकोष्ठ के वकीलों ने कहा कि जिला कलेक्टर को फरियादी द्वारा प्रस्तुत ज्ञापन में अर्जुन मेघवाल पर जिला कलेक्टर रहते हुए पद का दुरुपयोग करने की शिकायत की गई है तथा नामांकन के दौरान मौजूद सुमित गोदारा, बिहारीलाल बिश्नोई, सिद्धिकुमारी और संतोष बावरी पर भी मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई है।
हालांकि यह मामला बहुत पुराना है और पिछले चुनावों में भी कांग्रेस को उठाना चाहिए था, लेकिन इस बार उठाए जाने पर कांग्रेसजन यह तर्क दे रहे हैं कि इस बार कोर्ट का स्टे हट गया है। ऐसे में यह देखना होगा कि निर्वाचन विभाग क्या कार्रवाई करता है। इस बीच अर्जुन मेघवाल ने इस मुद्दे पर यह कहा है कि कांग्रेस को तो ईवीएम पर भी आपत्ति है, क्या किया जा सकता है।