बीकानेर। जिला प्रभारी सचिव एवं प्रमुख शासन सचिव स्कूल शिक्षा डॉ.आर वेंकेटश्वरन ने गुरूवार को जब शहर की स्कूलों का दौरा किया तो शिक्षा में गुणवत्तात्मक रूप से कई खामियां उजागर हुई।
प्रमुख शासन सचिव ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक नथमल डिडेल के साथ महारानी बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, बीएड कॉलेज और राजकीय गंगा बाल विद्यालय का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान विद्यार्थियों की कम उपस्थिति, नामांकन, अध्यापन विधि और गुणवत्ता के संदर्भ में गंभीर खामियों पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षक देश का भविष्य तैयार करते हैं। शिक्षक यदि इस प्रकार का प्रदर्शन करते हैं तो यह चिंतनीय है।

महारानी बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में निरीक्षण के दौरान कक्षाओं में बच्चों की अनुपस्थिति पर संस्था प्रधानों से कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने महारानी बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय की 10 वी., 11 वीं, 12 वीं कक्षा और पुस्तकालय का भी निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कक्षाओं में छात्राओं की उपस्थिति कम पाए जाने पर उन्होंने विद्यालय की प्राचार्य मीना शर्मा को सख्त लहजे में कहा कि स्कूल की छवि में सुधार करें। स्टॉफ के साथ बैठक लें और नामांकन बढ़ाया जाए। देश के भविष्य के साथ इस तरह का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

प्रमुख शासन सचिव ने कक्षा 12 वीं में अंग्रेजी के कलांश में अध्यापिका से पूछा कि कितनी छात्राओं का इस कक्षा में नामंाकन है तो वह इसका जबाव नहीं दे पाई। उन्होंने प्राचार्य से कहा कि लगता है कि स्कूल पर आपका कन्ट्रोल नहीं है। उन्होंने जीव विज्ञान और रसायन प्रयोगशाला का निरीक्षण करते हुए इनमें कार्यरत प्रयोगशाला सहायक के बारे में पूछा तो जीव विज्ञान प्रयोगशाला में प्रयोगशाला सहायक अनुपस्थित मिला। इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए प्रभारी सचिव ने कहा कि शिक्षा कार्य में कोताही बर्दाश्त नहीं होगी, शिक्षण कार्य को गंभीरता से लें।

छात्राओं की अनुपस्थिति पर हुए नाराज-प्रमुख शासन सचिव को महारानी बालिका विद्यालय और राजकीय गंगा बाल विद्यालय के निरीक्षण के दौरान सभी कक्षाओं में बच्चों की कम उपस्थिति पर स्पष्टीकरण लेते हुए सख्त निर्देश दिए कि उपस्थिति की निरन्तर मॉनिटरिंग की जाए। बच्चे की अनुपस्थिति को जस्टीफाई मत कीजिए। विद्यार्थियों के साथ संवाद रखें। उन्होंने महारानी बालिका स्कूल में कक्षा 10 में अंग्रेजी पढ़ा रही अध्यापिका को अपनी अध्यापन शैली में सुधार के निर्देश दिए और कहा कि छात्राओं को सामान्य वाक्य भी लिखने, बोलने नहीं आ रहे हैं। आप कैसी शिक्षा दे रहीं है। आपकी अध्यापन शैली में सुधार करें।

उन्होंने प्राचार्य को भी इस संबंध में सख्त मॉनिटरिंग के निर्देश दिए। उन्होंने छात्राओं को अपने मन से अंग्रेजी का डर निकालने की बात कही और कहा कि यह तब होगा,जब इसमें आप रूचि लेंगी। अंग्रेजी में सुधार के लिए उन्होंने अतिरिक्त कक्षा लगाने के निर्देश दिए। उन्होंने अध्यापिका से कहा कि वे कक्षा में प्रतिदिन छात्राओं से अंग्रेजी में बातचीत करें। उन्होंने छात्राओं को कहा कि वे अंगे्रजी विषय का मन से भय निकाल दे,रूचि से इस भाषा का अभ्यास करें।
लाइब्रेरी से एक भी बुक नहीं हुई इश्यू-प्रमुख शासन सचिव (स्कूल शिक्षा) ने पुस्तकालय का भी निरीक्षण किया। पुस्तकालय में पहुंचते ही प्रभारी सचिव ने पुस्तकालयाध्यक्ष से पूछा कि इस सत्र में कितनी पुस्तकें अब तक छात्राओं को इश्यू की गई। उन्होंने ईश्यू रजिस्टर का अवलोकन किया और इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि एक भी छात्रा को पुस्तक नहीं दी गई। इसके बारे में पुस्तकालयाध्यक्ष से कारण पूछा तो बताया कि वह सेवा निवृत हो रहीं है और चार्ज देने का काम चल रहा हैं।

राजकीय गंगा बाल विद्यालय में उन्होंने नर्सरी से लेकर कक्षा 10 तक का निरीक्षण किया। इन सभी कक्षाओं में विद्यार्थियों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से अधिक नहीं पाई गई। उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए संस्था प्रधान सीमा वर्मा को कहा कि बच्चों का नामांकन बढ़ाने के साथ उनकी कक्षा में उपस्थिति भी सुनिश्चित करे। संस्था प्रधान और अध्यापिका ने जब बच्चों की कम उपस्थिति केे कारण बताए तो उन्होंने कहा कि कोई बहाना नहीं चलेगा। बच्चों का भविष्य शिक्षक की मेहनत पर निर्भर करता है। बहाने बनाने वालों के विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी। इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक शिक्षा) उमाशंकर किराडू भी उपस्थित थे।