बीकानेर। परीक्षा की सीजन शुरू होने को है, ऐसे में विद्यार्थी कम समय में अच्छे अंक प्राप्त करने की जुगत में लगे हैं। शॉर्ट कट के फेर में ज्यादातर विद्यार्थी वनवीक सीरिज व पास बुक का सहारा ले रहे हैं, वहीं पुराने सालों के साल्वड व अन साल्वड पेपर की भी बाजार में एकाएक मांग बढ़ गई है। शहर के कोटगेट,मटका गली,डीआरएम ऑफिस के सामने  पुस्तक विक्रेताओं की दुकानों पर सुबह से ही कॉलेज व स्कूलों के विद्यार्थी पास बुक व वन वीक सीरिज की तलाश में पहुंच रहे हैं। पुस्तक विक्रेताओ ने बताया कि परीक्षा आवेदन भरने के बाद युवा कम्पीटिशन एग्जाम व अन्य कोर्स करने में व्यस्त रहते हैं। जब परीक्षाएं नजदीक आती हैं तो पास होने के लिए पासबुक व वनवीक सीरिज का सहारा लेते हैं। उन्होंने बताया कि पास बुक व वन वीक सीरिज में पिछले सालों के कुछ निर्धारित प्रश्न व उनके उत्तर होते हैं। इनमें संभावित प्रश्न भी शामिल हो सकते हैं, इसलिए अधिकतर विद्यार्थी इनको पढकऱ ही पास होने की कोशिश करते हैं। उन्होने बताया कि सालभर में जितनी वन वीक सीरिज, साल्वड पेपर नहीं बिकते उतने इन दो महीनों में बिक जाते हैं। आजकल बच्चे किताबें नहीं खरीदते हैं, बल्कि इनसे ही पास बुक्स और वन वीक सीरिज पढ़ाई करते हैं। इनकी कीमत भी किताबों से कम होती है। पुस्तक विक्रेता जगदीश ने बताया कि साल भर प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबें बिकती हैं, लेकिन इन दिनों सब वन वीक सीरिज आदि की मांग बढ़ जाती है।
 इनका कहना है
      युवक रमेश चौधरी ने बताया कि वह साल भर मेहनत मजदूरी करते हैं, इसलिए उन्हें पढऩे का समय नहंीं मिल पाता है। इसलिए वे परीक्षा से एक महीने पहले अपना काम छोडकऱ पढ़ाई करने में जुट जाते हैं। इतने कम समय में किताबों से पढ़ाई करना संभव नहीं है। इसलिए विषय की पास बुक या फिर वन वीक सीरिज से ही पढ़ाई करते हैं। उन्होंने बताया कि पिछली परीक्षाएं भी इन्हीं के सहारे ही पास की है। इंग्लिश में एमए फाइनल की स्टूडेंट जागृति ने बताया कि में साल भर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करती हूं। इसलिए पढ़ाई के लिए समय नहीं निकाल पाती। अब वन वीक सीरिज व पास बुक से पढकऱ तैयारी कर रही हूं। एम ए इंग्लिश प्रीवियस की छात्रा श्रेष्ठा ने बताया कि वो स्कूल में जॉब करती हैं। वहां पूरा दिन निकल जाता है। इसलिए अब पास होने के लिए वन वीक सीरिज से पढ़ाई कर रही हैं।
   दूसरी तरफ शिक्षाविद् का कहना है कि केवल परीक्षा में पास होने के लिए ही पढ़ाई करना ठीक नहीं है। इससे विषय की न तो समझ बन पाती हैं और न ही विषय पर पकड़ हो पाती हैं। जब किसी साक्षात्कार में विषय से संबंधित प्रश्न पूछा जाता है तो परीक्षार्थी कुछ बताने की स्थिति में नहीं होता है।