बीकानेर। श्री मुरलीधर व्यास राजस्थानी स्मृति संस्थान द्वारा आयोजित सृजन संवाद की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार सरल विशारद ने कहा की समाज, देश में हो रहे अन्यायों के विरुद्ध आवाज उठाने की क्षमता जिसमें होती है वे ही सही मायनों में कवि है।
मुख्यवक्ता मालचन्द तिवाड़ी ने कहा की नगर की समृद्ध काव्य परम्परा के चलते नगर की नई पौध से हमें सम्भावना तो है परन्तु युवा पीढ़ी काव्य कि रचना प्रक्रिया से रूबरू होने से पहले गहरी अनुभूति संवेदना के मर्म को समझने की क्षमता सहित अन्य काव्य तत्वों के साथ ज्यादा से ज्यादा अध्ययन करने की जरूरत है तभी वह अपने कवि क्रम और कविता के प्रति न्याय कर पाएंगे।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए योगेश व्यास ने राजस्थानी के भीष्म पितामह, आधुनिक राजस्थानी कहानी के जनक श्री मुरलीधर व्यास राजस्थानी के अनेक संस्मरण सांझा करने के साथ ही कहा ‘आप हो आप रैवोला जद तांई रैवैला मायड़ भासा रा सबद-संस्कारÓ।
संजय आचार्य ने कार्यक्रम की रूपरेखा ओर महत्व के बारे में बताया साथ ही राजेन्द्र स्वर्णकार, तामेश्वर सुकल, मनीषा आर्य सोनी और मीनाक्षी स्वर्णकार ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। गोपाल पुरोहित, ऋद्धिका आचार्य, रवि पुरोहित, अंजू सुथार, मोनिका राजपुरोहित, लोकनाथ तिवाड़ी, पुनीत रंगा, पारीक्षित निगम, शशांक शेखर जोशी, कपिला पालीवाल, कृतिका राजपुरोहित, दीपेंद्र सिंह, प्रदीप सहारण, समीर गोयल, नैना जांगिड़, पवन अनाम, चेतना व्यास, मयंक वी व्यास, अभिषेक कड़वासरा, सुमन परिहार, सरिता तिवाड़ी, गिरिराज पारीक, अंजू कँवर, रामकंवर, गरिमा आचार्य, निशा मोदी और चेतना खाण्डल को संस्था द्वारा मेडल और प्रशंसा पत्र देकर प्रोत्साहित किया गया। कवियत्री मीनाक्षी स्वर्णकार का संस्था द्वारा सम्मान किया गया।
आगन्तुकों का आभार श्रीनाथ व्यास राजस्थानी ने किया। कार्यक्रम में रामकुमार व्यास, अविनाश व्यास, विमल स्वामी, शुभम व्यास, तुषार आचार्य, विवेक व्यास, विनीत शर्मा, मुकेश व्यास, राकेश आचार्य, आशीष रंगा, जितेन्द्र व्यास, पवन आचार्य, प्रियंका व्यास, सलोनी पारीक, अपर्णा व्यास, जयश्री जोशी तथा प्रभा व्यास आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।