बीकानेर। बज्जू. कहने को तो कस्बे में इसी सत्र से राजकीय महाविद्यालय शुरू हो गया है और पहले सत्र में ही करीब 250 बच्चों ने प्रवेश भी ले भी लिया लेकिन यहां सभी पद रिक्त होने से शिक्षण व्यवस्था ठप है। अन्य मूलभूत सुविधाओं के अभाव में भी विद्यार्थियों को परेशानी झेलनी पड़ती है। खासकर शौचालय नहीं होने से छात्राओं को घर की ओर रुख करना पड़ता है। एक भी व्याख्याता नहींकस्बे के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल परिसर में एक ओर भवन में चल रहे राजकीय महाविद्यालय में कोई सुविधा नही हैं। कॉलेज में सभी सात में से सात पद रिक्त है। राजकीय महाविद्यालय में अंग्रेजी, हिन्दी, इतिहास, भूगोल, लोक प्रसाशन, राजनीति विज्ञान व अर्थशास्त्र विषय स्वीकृत है लेकिन सभी पद रिक्त होने से प्रवेशित विद्यार्थी ठगा सा महसूस कर रहे हैं। हालांकि वैकल्पिक तौर पर हिन्दी विषय का व्याख्याता लगाया है जो दिनभर प्रशासनिक कार्यो में व्यस्त रहते हैं। यहां डॉ. बजरंगसिंह राठौड़ का प्राचार्य लगाया गया था जो तीन महीने ही यहां रहे और पिछले दिनों सेवानिवृत्त हो गए। प्रायोगिक विषयों को लेकर असमंजस मेंमहाविद्यालय में बड़ी संख्या में विद्याथियों ने प्रायोगिक विषय भूगोल ले रखा है। अब प्रायोगिक परीक्षा को लेकर विद्यार्थियों में असमंजस की स्थिति बनी है। छात्रों ने बताया कि भूगोल का व्याख्याता नहीं होने से प्रायोगिक परीक्षा की जानकारी नही मिल रही है। मजेदार बात यह है कि भूगोल से संबंधित एक भी उपकरण महाविद्यालय में नही है।
नोडल कॉलेज भी लापरवाह बनाकस्बे के महाविद्यालय की समस्याओं व शिक्षण व्यवस्था को लेकर बीकानेर संभाग के सबसे बड़े डूंगर महाविद्यालय को नोडल कॉलेज बनाया है लेकिन बज्जू कॉलेज की विभिन्न व्यवस्था को लेकर डूंगर महाविद्यालय लापरवाही बरत रहा है। डूंगर कॉलेज से अब तक एक कम्प्यूटर भी बज्जू को उपलब्ध नही करवाया गया है। प्रयासरत कर रहे हैंबज्जू के राजकीय कॉलेज की समस्त समस्याओं के लिए प्रयासरत है। शीघ्र की विभिन्न व्यवस्थाएं की जागी।डॉ. सतीश कौशिक, प्राचार्य, डूंगर महाविद्यालय, बीकानेरं