बीकानेर। विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण की राह आसान नहीं, कांटों से भरी है। टिकट की तरफ टकटकी लगाए रखने वालों की संख्या अधिक होने के कारण सर्वाधिक परेशानी कांग्रेस और भाजपा में है। वरिष्ठ नेता किसी का नाम फाइनल करने या किसी की टिकट काटने से पहले बार-बार सोचने को, मंथन करने को मजबूर है। उन्हें यह आशंका भी साथ की साथ खाए जा रही है कि नाराजगी के चलते कहीं कोई ‘घमासान’ नहीं हो जाए। इन दोनों प्रमुख दलों की गतिविधियों का केंद्र अब जयपुर नहीं दिल्ली है। कांग्रेस एवं भाजपा के शीर्ष प्रांतीय नेताओं ने कवायद पूरी कर सूची को अंतिम रूप देने के लिए अपने-अपने ‘ आलाकमान’ के सामने रख दी है। राष्ट्रीय स्तर के जिन नेताओं को राजस्थान की जिम्मेदारी दी गई है, वे प्राप्त सूची के आधार पर अपनी अनुशंसा करने के काम में जुटे हैं, इस महत्वपूर्ण काम में वे सिर्फ अपने निजी स्टाफ का ही सहयोग ले रहे हैं।
भाजपा में अधिक मारामारी
सत्ता में होने के कारण वापस सत्ता हासिल करना भाजपा के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। इसी को देखते हुए पार्टी ने अपने स्तर पर कई सर्वे करवाए थे, इनमें काफी विधायकों का रिपोर्ट कार्ड खराब रहा। इनकी टिकट काटने के संकेत एक माह पहले ही दे दिए गए थे लेकिन इनमें से क इयों के पक्ष में आए दो-तीन बड़े नेताओं के तेवर देखकर आलाकमान पुनर्विचार करने की मुद्रा में आ गया है।
कांग्रेस ने लगाई ताकत सारी
भाजपा से सत्ता हथियाने के लिए कांगे्रस ने सारी ताकत लगा दी है। प्रदेश में दो प्रमुख नेताओं के बीच छत्तीस का आंकड़ा जग जाहिर होने के बावजूद हाइकमान की कोशिश यही है कि आपसी फूट का संदेश आम लोगों के बीच नहीं जाए। टिकट वितरण में इस बात का सबसे अधिक ध्यान दिया जा रहा है। जोर इसी बात पर है कि प्रत्याशी जिताऊ हो और पार्टी सरकार बनाने लायक जादुई आंकड़ा किसी तरह हासिल कर ले।
ये दिन सबसे खास
नामांकन प्रक्रिया शुरू-12 नवम्बर से
नामांकन प्रक्रिया समाप्त-19 नवम्बर
नामांकन पत्रों की जांच-20 नवम्बर
नामांकन पत्रों की वापसी-22 नवम्बर
मतदान-7 दिसम्बर
वोटों की गिनती-11 दिसम्बर