बीकानेर।  राजीव गांधी स्टडी सर्किल बीकानेर इ्रकाई द्वारा विजय दिवस पर एक ऑनलाइन राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय वेबिनार का विषय युद्ध विजय का राष्ट्रीय गौरव रखा गया। वेबिनार के प्रारम्भ में राजीव गांधी स्टडी सर्किल के राज्य सह समन्वयक डॉ बिठ्ठल बिस्सा ने विषय प्रवर्तन करते हुए वेबिनार के विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। स्टडी सर्किल के  राज्य समन्वयक डॉ बन्ने सिंह ने राज्य ईकाई की तरफ से अन्य राज्य ईकाईयों के प्रतिनिधियों का स्वागत किया।
स्टडी सर्किल के राष्ट्रीय सह समन्वयक प्रो. सतीश राय ने बताया कि आज के ही दिन भारत ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया की सबसे बडी सामरिक जीत इतिहास में दर्ज करते हुए इतिहास और भूगोल दोनों बदल डाला था। ढाका में लगभग एक लाख पाकिस्तानी सैनिकों का आत्मसमर्पण कराकर आज के दिन ही भारत ने 1971 के भरत पाकिस्तान युद्ध को निर्णायक मुकाम पर पहुंचाया, विश्व मानचित्र पर बंगलादेश का अभ्युदय कराया और इन्दिरा जी के गतिशील राष्ट्रीय नेतृत्व में पाकिस्तान के दो फांक करने के साथ ही धर्म के आधार पर राष्ट्रनिर्माण  की सोच एवं अवधारणा को भी खंडित कर ध्वस्त कर दिया था। ले. जनरल अरोडा के समक्ष 93000 पाक सैनिको के साथ ले. जन. नियाजी के आत्मसमपर्ण की इंदिरा जी की सूचना पर भारतीय संसद झूम उठी, भारत जश्न में डूब गया। पाक के दोनों मोर्चो पर 1971 की ऐतिहासिक युद्ध विजय और आगे के वर्षो में सिक्किम के भारत विलय, 1984 में दुर्गम सियाचिन ग्लेयिायर पर भारत की आधिपत्य स्थापना  एवं प्रथम भारतीय परमाणु विस्फोट आदि राष्ट्रीय गौरव की उपलब्धियों के सूत्र संचालक महानायकत्व ने ही इतिहास में लौह नेत्री इन्दिरा गांधी के यष को भारत के अंतिम विक्रमादित्य के रूप में स्थापित कर दिया था।मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रो. राघव सरण शर्मा ने कहा कि भारत पाकिस्तान के मध्य अनेक युद्ध हुये। 1948, 1965, 1971 व कारगील युद्ध लेकिन 16 दिसम्बर 1971 के दिवस में घटित घटना के पष्चात इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। उन्होंने बताया कि भारत की पाकिस्तान के साथ यह निर्णायक जीत थी इस युद्ध के समय देष की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कार्य योजना बनाकर जिस उत्साह का परिचय दिया और भारत को निर्णायक जीत दिलायी उन्होनें कहा कि इंदिरा जी ने न केवल इतिहास बल्कि भूगोल बदलकर पाकिस्तान के टुकडे कर बांग्लादेश के  रूप में एक नये राष्ट्र का प्रादुर्भाव किया। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी भारत की अंतिम विक्रमादित्य थी। उन्होंने बताया कि तात्कालिक समय में इंदिरा गांधी ऐसी परिस्थितियों से घिरी हुई थी कि उस समय का ंग्रेस का विभाजन दबाव डालने वाली राजनीती अस्थिर जनमत आदि समस्याओं के बावजूद एक आयरन लेडी के रूप में उन्होंने जो निर्णय लिये वे काबिले तारीफ थे। कार्यक्रम में राजस्थान लोक सेवा आयोग  के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बी एम शर्मा एवं उदयपुर विश्वविद्यालय के प्रो पी आर व्यास ने भी अपने विचार रखे। इस वेबिनार में रामपुरिया विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनन्त जोशी ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया । वेबिनार में रूक्टा के महामंत्री वी.के. ऐरी, डॉ प्रमोद पांडे, प्रो. विक्रम मेहरा, डॉ बाल मुक न्द व्यास, प्रो, बी.एम शर्मा, डॉ एच. एस. कालसी, डॉ. शैलेन्द्र गहलोत, डॉ अम्बालाल काटरा, वसीम उमर खान, अजय गर्ग, डॉ लता अग्रवाल, डॉ पंकज जैन, कमलेशमाथुर, डॉ गौतम कुमार मेघवंशी, डॉ  बी.एम. खत्री, भरत कुमार जाजरा, राजेश कुमार सिंह, डॉ धर्मेन्द्र सिंह, डॉ महेश गोटवाल, डॉ विनोद चंद्रा, वासुदेव गुप्ता, डॉ अनुज विलयम्स विभिन्न राज्य की ईकाईयों के प्रतिनिधि, विभन्न शिक्षण संस्थाओं के  शिक्षकों ने अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई।