बीकानेर। देशभर में नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र मे अग्रणीय सुपरस्पेशलिटी ए एस जी नेत्र चिकित्सालय 16 सितम्बर को अपने बीकानेर शाखा 9 वर्ष पूर्ण किए। 9वी वर्षगांठ के उपलक्ष्य पर प्रेस वार्ता का आयोजन दिनांक 16 सितम्बर 2019 दिन सोमवार को ए एस जी नेत्र चिकित्सालय बीेकानेर मे किया गया। ए एस जी नेत्र चिकित्सालय के वर्तमान से तीन देशों व भारत के 13 राज्यों के 21 शहरों में इसकी 28 शाखाएं सफलतापूर्वक चल रही हैँ। इसमें राजस्थान (7 शाखाएँ), बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश. पश्चिम बंगाल, आसाम, झारखंड, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, उडीसा, गुजरात, पंजाब और महाराष्ट्र शामिल है।

इस अस्पताल की सबसे बडी खासियत यह है कि इसका संचालन एम्स दिल्ली के पूर्व नेत्र विशेषज्ञ करते है सोमवार को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान डॉ. पंकज ढ़ाका ने बताया कि एम्स न्यू दिल्ली के अनुभवी डॉक्टरों डॉ. अरूण सिंघवी व डॉ. शशांक गांग ने 2005 मेें एएसजी के नाम से आई सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की शुरूआत की थी। उनकी और इससे जुडे अन्य डॉक्टरों की मेहनत के कारण आज ए एस जी नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में सबसे भरोसेमंद नाम बन गया है। रानी बाजार, बीकानेर स्थित एएसजी नेत्र चिकित्सालय जहां एक ही छत के नीचे आंख से संबंधित सभी गंभीर बिमारियों का इलाज पिछले 9 वर्षो से किया जा रहा है।

मोतियाबिंद (फेको), रिफ्रेक्टिव सर्जरी (क्यू लेसिक, आई. सी. एल), विट्रेओ-रेटिना, ऑकुलोप्लास्टी, कॉर्निया, स्किंवट, पीडियाट्रिक ऑप्थाल्मोलॉजी, न्यूरो- ऑप्थाल्मोलॉजी जैसी अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध है। खास बात यह है मरीजो की सुबिधा के लिए रविवार को भी चिकित्सालय खुला रहता है। एएसजी नेत्र चिकित्सालय एवम् सभी मेजर बीमा कंपनी से सूचीबद्ध है। डॉ. पंकज ढ़ाका ने कहा कि अब नवनीतम तकनीकों (क्यू लेसिक, आई. सी. एल) से रिफ्रेक्टिव ऐरर चश्मे के हाई पावर के नंबर बहुत कम समय में हटाये जा सकते है।

इन तकनीक से सर्जरी के रिजल्ट बहुत अच्छे हैं। क्यू लेसिक लेजर विधी सर्जरी करवाने के पश्चात् मरीज कुछ मिनटो के बाद ही साफ देखने लगता है। डॉ. ढ़ाका ने कहा की नेत्र इलाज की सभी सुविधाए एएसजी बीकानेर उपलब्ध है, जिससे इलाज के लिए बड़े शहरों में जाने की आवश्यकता नहीं है। डॉ. चंचल गुप्ता ने कहा कि एएसजी नेत्र चिकित्सालय बीकानेर में आंखो की जटिलतम रोग जैसे नेत्र प्रत्यारोपण, नेत्र के केंसर एवं न्यूरो-ऑप्थाल्मोलॉजी, केरेटोकोनस का उपचार अत्याधुनिक तकनीक के किया जा रहा है, साथ ही भौंगापन जैसे रोगो को सहज एवं उच्च तकनीकी से ठीक किया जा रहा है। डॉ. पंकज ढ़ाका ने कहा कि यहाँ सभी प्रकार के मोतियाबिंद फेंको तकनीक के माध्यम से एवं एवं काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) की जांच एवं उपचार अत्याधुनिक तकनिको से किये जाते है।

डा. ढ़ाका ने बताया नए मल्टीफोकल लेन्सेस जिसमें की मोतियाबिंद के बाद चश्मे की आवश्यकता नहीं रहती, के प्रत्यारोपण की सुविधा भी उपलब्ध है। आपरेशन बिना टांका या पट्टी के किये जाते है हमारा ध्येय सभी वर्गो के लोगों को सर्वोत्तम नेत्र चिकित्सा उपलब्ध करना है। रेटिना विशेषज्ञ डॉ. अंशुमान गहलोत ने बताया कि आजकल डायबिटिक की वजह से आँख के परदे में आने वाली खराबी यानी डायबिटिक रेटिनोपैथी भारत में अंधेपन का एक प्रमुख कारण बन गया है।

नियमित जाँच व इलाज से नजर को बचाया जा सकता है विट्रियस हेमरेज व परदे के आँपरेशन के लिए अत्याधुनिक 25ळ व 27ळ की सुविधा उपलब्ध है वहीं प्रीटर्म नवजात शिशुओं के परदे की जाँच व उपचार सुविधा भी उपलब्ध है ताकि आर.ओ.पी. का सही समय पर निदान व उपचार हो सकें। प्रबन्धक नारायण पुरोहित ने बताया कि 15 अक्टूबर तक वरिष्ठ जनो के लिए प्रत्येक शनिवार को तथा पेंशन धारियों को प्रतिदिन नि:शुल्क परामर्श दिया जाएगा।