बीकानेर। इंदिरा गांधी नहर परियोजना उपनिवेशन की जैसलमेर की सात व बीकानेर जिले की गजनेर तहसील कई महीनों से एक ही तहसीलदार के भरोसे चल रही है। प्रशासनिक कार्यों की व्यस्तता का आलम यह है कि अधिकांश तहसीलों में कार्यवाहक तहसीलदार एक बार भी नहीं पहुंच पाए हैं। इतना ही नहीं अधिकांश तहसीलों में नायब तहसीलदार के पद भी रिक्त पड़े हैं। ऐसे में अन्य किसी को कार्य व्यवस्था का जिम्मा भी नहीं सौंपा जा सकता। हालत यह है कि सरकार किसानों को खातेदारी देने पर जोर दे रही है लेकिन इन तहसीलों में किसानों के मामूली दस्तावेजों तक पर हस्ताक्षर करने में दिक्कत आ रही है। कर्मचारी व किसान संगठनों की ओर से लम्बे समय से रिक्त पदों की समस्या उठाई जा रही है लेकिन समाधान नहीं हुआ है।
चक्कर निकालने को मजबूर किसान
उपनिवेशन तहसीलों में तहसीलदार, नायब तहसीलदार आदि के पद रिक्त होने के कारण किसान चक्कर निकालने को मजबूर है। जैसलमेर के किसानों के लिए मुख्यालय बीकानेर होने के कारण प्रतिदिन चक्कर निकालना भी संभव नहीं हो रहा है।
पदोन्नति से हो नायब तहसीलदार की पूर्ति
लम्बे समय से गिरदावरों की पदोन्नति नहीं हुई है। उनकी मांग है कि डीपीसी का कार्य पूरा कर गिरदावरों का नायब तहसीलदार स्तर पर पदोन्नति दी जाए, जबकि लम्बे समय से सरकार इन पदों को प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों से भर रही है। ऐसे में कर्मचारियों में भी रोष व्याप्त है और जैसलमेर व बीकानेर जिले के किसानों के कामकाज भी प्रभावित हो रहे हैं।
पटवारियों पर हलके पड़ रहे भारी
वैसे तो राजस्व विभाग में भी पटवारियों की कमी देखने को मिल रही है लेकिन उपनिवेशन विभाग में पटवारियों के रिक्त पदों की फेहरिस्त काफी लम्बी है। अधिकांश पटवारियों के पास दो से तीन पटवार हलकों का अतिरिक्त कार्य होने के कारण वे मूल हलकों में भी लम्बे समय तक नहीं पहुंच पाते हैं और इसी कारण संगठनों की शिकायत पर पटवारियों पर गाज गिरती है।
रोजमर्रा के काम-काज हो रहे प्रभावित
ंअधिकारियों व पटवारियों के रिक्त पदों के चलते तहसीलों में रोजमर्रा के कामकाज प्रभावित हो रहे हैं। पहले पटवारियों के पद भरे होने के दौरान तहसीलों में भी लिपिक के रूप में पटवारियों से ही काम लिया जाता था लेकिन अब रिक्त पदों के कारण किसानों के कामकाज प्रभावित हो रहे हंै।