बीकानेर। स्थानीय वैद्य मघाराम कॉलोनी में चल रही भागवत कथा सप्ताह के चर्तुथ दिवस वामन अवतार, दानवीर राजाबली, दुर्वासा मुनी, राजा सगर एवं भागीरथ गंगा अवतरण की कथा व माता-पिता भक्त श्रवण की कथा का विस्तार से वृतान्त सुनाया। कथा वाचक पं. पुरुषोत्तम व्यास ने कहा कि संसार में सबसे बड़ी पूजा माता-पिता होती है। जो व्यक्ति अपने माता-पिता को सुख नही दे सकता उसे संसार में कही भी सुख की प्राप्ति नही हो पाती हैं और जो व्यक्ति माता-पिता का सेवा भाव में लगा रहता है।

उसे कोई भी दुख छु भी नहीं सकता। उन्होंने कहा कि भागीरथ की भक्ति ने गंगा को धरती पर लाकर धरती को पाप मुक्त बनाया दिया। उन्होंने कहा कि जिन पर परमात्मा की विशेष कृपा हुई है, वही इस कथा मंडप में पहुंचे हैं। जीव ईश्वर का स्वरूप होते हुए भी ईश्वर को पहचानने का प्रयत्न नहीं करता है। इसी कारण उसे आंनद की प्राप्ति नहीं होती है। भागवत जीवन दर्शन का ग्रंथ है। यह जीवन जीने की कला का मार्ग दर्शन करता है।

उन्होंने स्वधर्म त्याग नहीं किया वे वन में नहीं गई फिर भी वह श्री भगवान को प्राप्त कर सकीं। भागवत ज्ञान, वैराग्य को जागृत करने की कथा है। ज्ञान और वैराग्य मनुष्य के अंदर हैं, पर वह सोए हुए हैं। भागवत के अलावा अन्य कोई ग्रंथ नहीं जो मनुष्य मात्र को सात दिन में मुक्ति का मार्ग दिखा दे। इससे पूर्व मंगलाचारण के साथ व्यासपीठ को पूजन अर्चन किया गया। भागवत कथा में मंगलवार को कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा।